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मुनस्यारी के उच्च हिमालय की रिलकोट चौकी में फंसे जवानों को निकालने में बाधक बना मौसम

रिलकोट में फंसे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और पोटर्स को निकालने के लिए उच्च हिमालय में मौसम साफ रहने की प्रतीक्षा की जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 23 Dec 2019 09:17 AM (IST)
मुनस्यारी के उच्च हिमालय की रिलकोट चौकी में फंसे जवानों को निकालने में बाधक बना मौसम
पिथौरागढ़, जेएनएन : जिन जवानों के नाम पर देशभर में हल्‍के स्‍तर की राजनीति होती है, वही जवान कड़ाके की ठंड में इन दिनों हजारों फीट की ऊंचाई पर भीषण बर्फबारी में सीमा की सुरक्षा के लिए डटे हैं। अब जबकि उन्‍हें नीचे आ जाना चाहिए था तो मौसम उनके सामने बाधा बनकर खड़ा हो गया है। रिलकोट में फंसे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और पोटर्स को निकालने के लिए उच्च हिमालय में मौसम साफ रहने की प्रतीक्षा की जा रही है। उच्च हिमालय में तेरह हजार फीट से अधिक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्रतिदिन हिमपात हो रहा है। बताया जा रहा है कि जवानों के पास खाने के लिए फिलहाल पर्याप्‍त राशन है। लेकिन मौसम वहां बेहत प्रतिकूल हो गया है।

हिमपात के कारण सात फीट तक जमी है बर्फ

मुनस्यारी के उच्च हिमालय की रिलकोट चौकी में आठ जवान और सात पोटर्स फंसे हैं। यहां पर भारी बर्फ होने के कारण नीचे आ पाना संभव नहीं हो रहा है। ऊपर से क्षेत्र में शनिवार को हुए हिमपात से सात फीट बर्फ जमी है। मौसम को देखते हुए जवानों को निकालने के लिए आइटीबीपी और जिला प्रशासन ने वायु सेना से हेलीकॉप्टर की मांग की है। जवानों और पोटर्स को हेलीकॉप्टर से मुनस्यारी या पिथौरागढ़ लाया जाएगा। उच्च हिमालय में अभी मौसम अनुकूल नहीं बना है।

मौसम साफ होते ही जवानों को लिफ्ट किया जाएगा

आइटीबीपी के उप महानिरीक्षक बरेली रेंज एपीएस निंबाडिया ने बताया कि उच्च हिमालय के मौसम पर नजर रखी जा रही है। प्रतिदिन सुबह तेरह हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर हिमपात हो रहा है। हालांकि रिलकोट 13 हजार फीट से कम ऊंचाई पर है परंतु सुबह होने वाले हिमपात के चलते कार्य नहीं हो सकता है। मौसम पर निगाह रखे हैं, मौसम साफ होते ही जवानों को रिलकोट से लाया जाएगा। रविवार को मुनस्यारी का न्यूनतम तापमान माइनस एक डिग्री और अधिकतम तापमान दस डिग्री रहा। धारचूला में भारी हिमपात के चलते सोबला-दारमा मार्ग यातायात लिए 11वें दिन भी बंद रहा।

जवानों के पास है पर्याप्‍त राशन

जवानों को 14 दिसंबर को रिलकोट से बुगड्यार आना था। पांच से छह फुट तक बर्फ गिरने के चलते आठ जवान और सात पोर्टर अभी वहीं फंसे हैं। यहां से वह मिलम भी नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जवानों के पास राशन की पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन उन्हें सुरक्षित निकाला जाना जरूरी है।  जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि प्रशासन और आईटीबीपी की क्षेत्र में पैनी नजर है। जवानों के लिए राशन की पर्याप्त व्यवस्था है। इस मौके पर आईटीबीपी के उप सेनानी अविनाश कुमार भी मौजूद रहे।

फंसे जवान और पोर्टरों को निकालना चुनौती

रिलकोट में फंसे जवान और पोर्टरों को निकालना कठिन चुनौती होगी। उच्च हिमालयी इलाकों के आईटीबीपी चेक पोस्ट पर फंसे जवानों और पोर्टरों को निकालने के लिए हैलीपैड पर जमी पांच से छह फुट बर्फ को हटाना होगा। हैलीपैड से कैंप तक रास्ते की बर्फ भी हटानी होगी। सूत्रों के अनुसार आईटीबीपी द्वारा चौकियों से बर्फ हटा कर 200 मीटर रास्ता प्रतिदिन बनाने के आदेश दिए गए हैं। रास्ता बनाने में एक ओर हिमस्खलन का खतरा और दूसरी ओर गोरी नदी के ऊपर बर्फ काटना मुश्किल है। बर्फ में धंसने से गोरी नदी में समाने का खतरा बना हुआ है। उच्च हिमालयी इलाकों के पर्वतारोहण के एक्सपर्ट गंगा राम का कहना है कि इन रास्तों पर अप्रैल में ही ट्रैक कर पाना काफी कठिन है। बर्फवारी के समय रास्ता बनाना अपने में किसी खतरे से कम नहीं है।

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