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Banshidhar Bhagat: बंशीधर भगत बने उत्तराखंड विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर, आइए जानें इस पद के मायने और अधिकार

Uttarakhand Assembly Pro Tem Speaker Banshidhar Bhagat राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने प्रोटेम स्पीकर (Pro-tem) नामित किए गए भाजपा के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत (Pro tem Speaker Banshidhar Bhagat) को शपथ दिलाई । जान‍िए प्रोटेम स्पीकर कि‍से कहते हैं और इनका अध‍िकार और कर्तव्‍य क्‍या होता है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 21 Mar 2022 12:06 PM (IST)
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जान‍िए प्रोटेम स्पीकर (Pro-tem) कि‍से कहते हैं और इनका अध‍िकार और कर्तव्‍य क्‍या होता है।

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : प्रोटेम स्पीकर (Pro-tem) नामित किए गए भाजपा के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत (Pro tem Speaker Banshidhar Bhagat) को सोमवार को राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शपथ दिलाई। इस दौरान कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य सचिव डाक्‍टर एसएस संधु, प्रमुख सचिव आनंद वर्धन और राज्यपाल के सचिव डाक्‍टर रंजीत कुमार सिन्हा आदि सम्मानित जन उपस्थित रहे। चलिए जानते हैं कि प्रोटेम स्पीकर (Pro-tem) कौन होते हैं, इनका अधिकार और कर्तव्य क्या है।

क्या होता है Pro-tem स्पीकर

वैसे तो प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष ) का चुनाव कराना होता हैं। आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक यानि जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतकर आया हो, उसे ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है लेकिन राज्यपाल इसे माने ये जरूरी नहीं है।

ऐसे होता है चुनाव

प्रोटेम (Pro-tem) स्पीकर के लिए विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते हैं और राज्यपाल उनमें से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है, ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने।

प्रोटेम स्पीकर का कर्तव्य

प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्‍द प्रो टैम्‍पोर(Pro Tempore) का संक्षिप्‍त रूप है। इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए।' प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्‍थायी विधानभा अध्‍यक्ष नहीं चुन लेती। यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है।

फिर विधायक चुनते हैं स्पीकर

सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्‍सा नहीं माना जाता । इसलिए सबसे पहले विधायक को शपथ दिलाई जाती है। जब विधायकों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद ये लोग विधानसभा अध्‍यक्ष का चुनाव करते हैं। परंपरा के मुताबिक सदन में सबसे वरिष्‍ठ सदस्‍य को गवर्नर, प्रोटेम स्‍पीकर के लिए चुनते हैं।

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