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घर वापसी पर दुविधा: पत्नी गांव बुलाती, पड़ोसी बोलते- शहर से लौटने वाले अपने साथ कोरोना लाएंगे

डेढ़ माह से देश के विभिन्न शहरों में फंसे लोगों की घर वापसी की उम्मीद को दो-तीन दिनों में पंख लगे हैं। घर वापसी से पहले प्रवासियों का मन सहमा है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 02 May 2020 10:26 AM (IST)
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घर वापसी पर दुविधा: पत्नी गांव बुलाती, पड़ोसी बोलते- शहर से लौटने वाले अपने साथ कोरोना लाएंगे
हल्द्वानी, गणेश पांडे : लॉकडाउन के कारण डेढ़ माह से देश के विभिन्न शहरों में फंसे लोगों की घर वापसी की उम्मीद को दो-तीन दिनों में पंख लगे हैं। प्रशासनिक स्तर पर कार्ययोजना तैयार होने लगी है, लेकिन राहत भरी इस खबर के बीच युवा मन दुविधा से घिरे हैं। दूर प्रदेशों से अपनों के बीच लौटने की लालसा घर की तरफ खींचती है, मगर रास्ते में फंसने का खतरा व सामाजिक दुर्व्‍यावहार का ख्याल सोचने पर विवश करता है।

हर बार एक सवाल पूछती है पत्नी

राजस्थान के जोधपुर में मेस में काम करने वाले दीपक (परिवर्तित नाम) को अल्मोड़ा के धौलादेवी लौटना है। काम ठप होने से दीपक अपने साथी के कमरे में लॉकडाउन खुलने के दिन गिन रहा है। गांव में पत्नी अकेली है। सालभर पहले शादी हुई है। पत्नी जितनी बार फोन करे, सवाल हर बार एक ही होता है, घर कब आओगे? दीपक कहता है गांव लौटे तो पड़ोसी संदेह की निगाह से देखेंगे। पत्नी बता रही थी गांव में चर्चा है कि अब बाहर से लोग लौट रहे हैं, अपने साथ बीमारी लाएंगे। इसी उलझन में दीपक ने प्रदेश सरकार के प्रवासी पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है।

मां-बाबू कहते हैं- बेटा गांव लौट आ

पिथौरागढ़ थल निवासी प्रकाश (परिवर्तित नाम) आंध्र प्रदेश में होटल मैनेजमेंट का स्टूडेंट्स है। उसके साथ कुमाऊं के दो और स्टूडेंट्स हैं। मां-बाबू कहते हैं बेटा लौट आ, मगर प्रकाश को चिंता है कोरोना संदिग्ध बताकर कहीं रास्ते में क्वारंटाइन न कर दिया जाए। शेल्टर होम में ठहरा दिया तो जिंदगी मझधार में अटक जाएगी। संक्रमण का खतरा अलग। घर पहुंच गए और अनचाहे कहीं संक्रमण निकला तो परिवार खतरे में पड़ जाएगा। तमाम उलझन के बीच प्रकाश आगे की राह तलाश रहा है।

बाबू बोले, बेटा गांव में ही कुछ करेंगे

चंडीगढ़ में काम करने वाला कैलाश (परिवर्तित नाम) ढाई साल की बिटिया को दुलारना चाहता है। अल्मोड़ा ताकुला में रह रही पत्नी कहती है, घर लौट आओ। परिवार को कैलाश की चिंता सताती है। बाबू कहते हैं गांव में अपनी जमीन है, दुकान है। यही कुछ शुरू करेंगे। कैलाश बताता है कि चंडीगढ़ में कोरोना के मामले 50 पार पहुंच गए हैं। डर बढ़ता जाता है। वह गांव लौटना चाहते हैं। सरकार को चेकअप के बाद प्रवासियों को घर पहुंचाना चाहिए।

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प्रवासियों की वापसी आज से, अभी तक 87 हजार लोगों ने कराया पंजीकरण

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