Uttarakhand Lockdown Day 4 : वन्यजीवों के लिए सौगात जैसा है लॉकडाउन, फुुल मस्ती कर रहे बाघ और भालू
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण पूरा देश ठप पडा है। सडक-पर्यटन स्थल बाजार सब जगह सन्नाटा पसरा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 28 Mar 2020 09:48 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण पूरा देश ठप पडा है। सडक-पर्यटन स्थल बाजार सब जगह सन्नाटा पसरा है। यह स्थिति वन्यजीवों के लिए काफी सुखद है। नैनीताल के चिडियाघर में जानवर इस समय फुल मस्ती कर रहे हैं। बंगाल टाइगर जहां धूप सेंकने के लिए निर्द्वंद्व होकर पेड पर चढ जा रहे हैं, वहीं अब उन्हें लोगों से छिपने की जरूरत नहीं पड रही है। भालू भी अब गुफा में छिपकर बैठने की बजाए गुफा के ऊपर ही बैठ रहा है। इनकी देखरेख के लिए तैनात जू के कर्मचारी भी बदले हुए व्यवहार को देखकर हैरान हैं।
नैनीताल जू में 233 वन्यजीव नैनीताल स्थिति जीबी पंत प्राणि उद्दान में 233 वन्य जीव हैं। इनमें चार टाइगर, सात लेपर्ड, दो तिब्बती भेड़, चार हिमालयन भालू, तिब्बती बिज्जू, रेड पांडा और विभिन्न प्रजातियों की पक्षियों के दीदार के लिए आम निनों में बडी तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। पूरे दिन कोलाहल होने के कारण इन्हें शर्मीले स्वभाव के वन्यजीवों को छिपना पडता है। लेकिन अब सब जगह सन्नाटा पसरा होने के कारण वन्यजीनों को खुलकरर मस्ती करने का मौका मिल गया है।
प्राकृतिक वास महसूस कर रहे वन्यजीवबायोलाजिस्ट डॉ रेखा पलडिया ने बताया कि लॉकडाउन के कारण जू में सन्नाटा पसरा है। कोलाहल न हाेने के कारण वन्यजीवों को पूरा शांत माहौल मिला हुआ है। आम दिनों में पर्यटकों की आमद के कारण ये छिप जाते थे। लेकिन इस समय ये फुल्ा मस्ती के मूड में हैं। निश्चिंत होकर अपने परसिर में टहल रहे हैं। धूप सेंकने के लिए डालियों पर चढकर बैठ रहे हैं। चिडियाघर के निदेशक बीजूलाल टीआर ने बताया कि कोलाहल कम होने से वन्यजीवाें के व्यवहार में बदलाव आना स्वाभाविक है। अभी सभी प्राकृतिक वास के रूप में अनुभव कर रहे हैं। वहीं जू की रेंजर ममता चंद ने बताया कि लॉकडाउन के कारण कर्मचारियों की संख्या में कमी कर दी गई है।
घरों पर भी सुनाई दे रहा पक्षियों का कोलाहल सब जगह सन्नाटा पसरा होने के कारण घरों पर भी पक्षियों का इन दिनों कोलाहल सुना जा सकता है। इन दिनों की सुबह पहले से कहीं खूबसूरत हो रही है। शहरीकरण और बेतरतीब विकास ने पशुपक्षियों को मनुष्यों से काफी दूर कर दिया था। शहरों में गौरइया की चहचहाहट सुनाई देनी बंद हो गई थीे। लेकिन सबकुछ शांत हो जाने के कारण एक बार फिर पशु - पक्षियों का कोलाहल बढा है। प्रकृति पहले से और खूबसूरत लग रही है।
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