वन मंत्री डॉ. हरक के सीबीआई जांच मामले में केस वापस लेने पर पड़ेगा स्टिंग केस पर असर, जानिए
स्टिंग मामले की सीबीआइ से जांच हटाकर एसआइटी से जांच की अधिसूचना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत अपनी याचिका वापस लेंगे।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 05 Nov 2019 09:19 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान फूटे स्टिंग बम मामले में अब रोचक मोड़ आ रहा है। राज्यपाल की ओर से भेजी गई सीबीआई जांच की संस्तुति तथा सुप्रीम कोर्ट से रावत सरकार बहाल होने के बाद कैबिनेट के सीबीआइ के बजाय एसआइटी जांच कराने की अधिसूचना जारी करना, कानूनी रूप से सही है या गलत, यह हाईकोर्ट के फैसले पर ही तय होगा। स्टिंग मामले की सीबीआइ से जांच हटाकर एसआइटी से जांच की अधिसूचना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत अपनी याचिका वापस लेंगे तो इससे केस में क्या फर्क पड़ेगा, इसको लेकर विधि विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है।
मार्च 2016 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ पार्टी के ही विधायकों के बगावत कर दी। सियासी हंगामा बढ़ा तो राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की संस्तुति भेज दी। इसके बाद केंद्र ने अनुच्छेद-356 का प्रयोग करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। इसी बीच दिल्ली में न्यूज चैनल संचालक उमेश शर्मा ने स्टिंग वीडिया जारी कर दिया। 31 मार्च को तत्कालीन राज्यपाल ने इस स्टिंग मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति केंद्र को भेज दी। जिसके बाद केंद्र ने सीबीआइ को मामला सौंप दिया। सीबीआइ की ओर से स्टिंग को जांच के लिए सेंट्रल लैब चंडीगढ़ भेज दिया था। इधर हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना खारिज होने के बाद कांग्रेस सरकार बहाल हुई तो सीएम की गैर मौजूदगी में वरिष्ठ मंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की सीबीआई जांच की अधिसूचना को वापस लेकर एसआइटी जांच का निर्णय लिया गया, साथ ही इसकी अधिसूचना भी सरकार ने जारी कर दी। इसी अधिसूचना को वर्तमान मंत्री डॉ हरक सिंह रावत द्वारा याचिका दायर कर चुनौती दी गई। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी याचिका दायर कर राज्यपाल के मामले की सीबीआइ जांच की अधिसूचना को चुनौती दी।
केंद्र व राज्य के अधिकार पर उलझा मामला
हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय भट्ट बताते हैं कि संविधान के अनुच्छेद-346 में केंद्र व राज्य सरकार के कानून बनाने के विषय दिए गए हैं। सातवीं अनुसूची में राज्य सूची, केंद्र सूची व आवर्ती सूची है। भट्ट बताते हैं कि सीबीआई केंद्रीय एजेंसी है, इसलिए जब तक राज्य सरकार संस्तुति नहीं भेजती, तब तक केंद्र सरकार सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी नहीं करती। इस अधिसूचना के बाद राज्य में बहाल सरकार द्वारा एसआइटी जांच का निर्णय लिया गया और नई अधिसूचना जारी की। सुप्रीम कोर्ट ने दोरजी मामले में फैसला देते हुए कहा है कि जब एक बार अधिसूचना या प्राथमिकी दर्ज हो जाए, तो उसे निरस्त नहीं किया जा सकता। हरक के याचिका वापस लेने से केस की प्रवृत्ति पर असर नहीं पड़ेगा।
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