हौसलों की उड़ान से महिलाओं ने लिखी सफलता की कहानी
नौकर बनकर काम करने के बजाए मालिक बनने की मानसिकता ने महिलाओं को नए पंख दे दिए हैं।
पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में 15 जनवरी तक आयोजित किए जा रहे उत्तरायणी मेले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपने उत्पादों की बदौलत ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। ऊनी कपड़े, पहाड़ी अनाज, फल-सब्जियों का अचार हो या हस्तनिर्मित उत्पाद। किचन और घरेलू जरूरत की अधिकांश वस्तुओं का निर्माण समूह सामूहिक भागीदारी से कर रहे हैं। मेले में खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहक भी जैविक खाद्य पदार्थ और हाथों से तैयार किए गए अन्य उत्पादों के लिए समूहों के स्टॉल की ओर रुख कर रहे हैं। साथ ही खरीदारी के बाद महिलाओं की सामूहिकता और आत्मसम्मान के साथ स्वयं का रोजगार स्थापित करने की भावना से प्रेरणा ले रहे हैं। इनमें इंजीनियरिंग से लेकर प्रबंधन की डिग्री लेने वाले युवाओं के साथ ही घरेलू व कामकाजी महिलाएं भी शामिल हैं।
ऐसे गठित किए जाते हैं समूह25 साल पहले मैंने घर से नमकीन बनाने का काम शुरू किया। बाद में इसे कुमाऊं नमकीन ब्रांड नाम से बेचना शुरू किया। 2004 में मुझे नेशनल माइक्रो इंटरप्रेन्योरशिप अवार्ड मिला।
- देवकी देवीमहिलाएं अपनी क्षमताओं पर विश्वास करके आत्मनिर्भर बनें। शुरुआत में थोड़ी मुश्किलें हो सकती हैं। आज मैं कुमाऊं हिल्स प्रसंस्करित उत्पाद तैयार कर रही हूं।
- गीता जोशीमैं पिथौरागढ़ के मुनस्यारी नानाकोट की रहने वाली हूं। हमने अंबर स्वयं सहायता समूह का गठन किया। आज समूह से जुड़ी छह महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रही हैं।
- चंपा पांगतीरानीखेत चौबटिया की रहने वाली हूं। समूह में हमें काफी कुछ सीखने को मिला। हमारे नारी ज्योति स्वयं सहायता समूह ने बैंक की मदद से काम किया, जिससे उत्पाद तैयार करने में मदद मिली।
- मुन्नी देवी
समूह बनाने के लिए ग्राम सभा की खुली बैठक में प्रस्ताव रखे जा सकते हैं। ग्राम विकास अधिकारी समूह का गठन कराते हैं और उन्हें समूह संचालन से जुड़ी बेसिक बातें बातें बताते हैं। एक समूह में कम से कम दस सदस्य हो सकते हैं, जिनमें कम से कम छह बीपीएल और चार सदस्य एपीएल श्रेणी के हों। समूह का यह मिलता है लाभ समूह गठन के तीन महीने बाद सरकार इसके संचालन के लिए दस हजार रुपये का अनुदान देती है, ताकि समूह अपनी गतिविधि आरंभ कर सके। तीन महीने बाद समूह बैंक में खाता खोलता है। जमा-निकासी और बचत के आधार पर बैंक समूह के लिए 50 हजार से तीन लाख रुपये तक की कैश क्रेडिट लिमिट तय कर देता है। समूह अपनी जरूरत के हिसाब से बैंक से धनराशि लेता है और ब्याज सहित लौटाता है। इसके साथ ही ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर समूह गठित होते हैं, जिनके माध्यम से सरकार समूह के कामकाज के आधार पर अनुदान देती है।
समूहों द्वार तैयार किए जा रहे उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए ग्राम्य विकास विभाग मेलों का आयोजन करता है, जहां उत्पाद की बिक्री के लिए स्टॉल उपलब्ध कराए जाते हैं। साथ ही समूहों को अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है। स्थानीय बाजारों में अपने उत्पाद बेचने के लिए भी समूह स्वतंत्र हैं। यह भी पढ़ें : मत्स्य उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है शारदा सागर जलाशय, जाने इसकी खासियत
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