Move to Jagran APP

Women Empowerment : उत्तराखंड में थारू जनजाति की महिलाएं घास से संवार रहीं तकदीर

कोरोना के संक्रमण काल से गुजर रहे देश में बेरोजगारी का बड़ा संकट खड़ा हाे गया है। एेसे में लोग स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 30 Aug 2020 11:34 AM (IST)
Hero Image
Women Empowerment : उत्तराखंड में थारू जनजाति की महिलाएं घास से संवार रहीं तकदीर

खटीमा, जेएनएन : कोरोना के संक्रमण काल से गुजर रहे देश में बेरोजगारी का बड़ा संकट खड़ा हाे गया है। एेसे में लोग स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले में थारू जनजाति की महिलाओं ने इसी दिशा में कदम बढ़़ाए हैं। इस निराशकाल में भी वे रोजगार के अवसर बुन रही हैं। वह जंगली मूंज घास से जरूरत की चीजें बुन रही हैं। इस विधा को अपनाकर कई महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं।

खटीमा क्षेत्र में थारू जनजाति समाज के लोग रहते हैं। देवरी गांव की शिक्षा राणा ने समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की शुरू की है। थारू समाज के पुश्तैनी हुनर को एक दिशा दे दी हैं। बहुत कम संख्या में पाए जाने वाले इन लोगों का जीवन यापन का जरिया बहुत सामान्य है। पुरुष खेती बाड़ी करते हैं। तो महिलाओं ने भी आत्मनिर्भर की ओर कदम बढ़ाए हैं।

हुनरमंद हाथों को चाहिए ये घास

मूंज, कास, सीख व पलगा घासें सिर्फ बारिश के दिनों में पाई जाती हैं। यह नदी-नालों के किनारे बंजर भूमि पर स्वत: ही उग आती हैं । थारू समाज की महिलाएं इन घासों को काटकर स्टोर कर लेती हैं। फिर साल भर जीवन यापन करने का आधार बनाती है। इन्ही घासों से वह विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्माण करती हैं।

सौ से अधिक महिलाएं बन चुकी हैं आत्मनिर्भर

मंगल महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष शिक्षा राणा बताती हैं कि 2004 से पारंपरिक हुनर को बाजार में पहचान और जगह मिली गई थी। धीरे-धीरे समूह के जरिए सौ से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। फुलैया, गुरखुड़ा, उल्धन, बिरिया, मझौला, सैजना भुडिया गांव में समूह की महिलाएं काम कर रही हैं।

आमदकी का स्रोत बढ़ा तो कारंवा भी बढ़ा

शिक्षा राणा कहतें है कि महिला केवल छह से सात घंटे इस काम में समय दे दे तो वह आठ से दस हजार रुपए की महीने की आमदकी कर लेती हैं। उनके साथ मंजू देवी, लक्ष्मी, कमला, कांति, सीता, इमला देवी, परवीनवती, मानवी, उमेशवती सरस्वती आदि महिलाएं काम पर जुटी हुई हैं। घास लाते हैं बनाते हैं समूह की हर महिला को 8 से अधिक का फायदा हो जाता है।

दिल्ली से मुंबई तक होती है डिमांड

मंगल महिला समूह को लॉक डाउन से पहले मेगा प्रोजेक्ट ने आर्डर दिया है। जिसका काम तेजी से चल रहा है। समूह की मुखिया ने बताया कि बड़े मेलों पर उनकी डिमांड बढ़ जाती है। पर्यटन सीजन में खूब आर्डर मिलते हैं। दिल्ली-मुबंई के आर्डर आ चुके हैं।

ये बन रहे उत्पाद

पेपर वेट, पैन स्टैंड, कोस्टर, बैंगल बाक्स, ज्वैलरी बाक्स, फूल व फल की टोकरी, ड्राई फ्रूट ट्रे, रोटी रखने के लिए हॉटकेस, पर्स बास्केट, गुलदस्ता, फ्लावर पॉट आदि कई उत्पाद हाथ से बुनकर तैयार किए जाते हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।