Haldwani जेल में बंद महिला बंदी बनेंगी ब्यूटीशियन व पुरुष मोटर मैकेनिक, ये होगी योग्यता
जेल में बंद कैदियों को अात्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगारपरक कोर्स शुरू किए गए हैं। इसके तहत अब हल्द्वानी जेल में बंद महिला बंदी ब्यूटिशियन का कोर्स कर सकेंगी जबकि पुरुष बंदी मोटर मैकेनिक का। 10 सितंबर से यह प्रशिक्षण कोर्स शुरू होगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 05 Sep 2022 07:51 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : जेल में गुनाह की सजा भुगतने वाले 40 बंदी अब आत्मनिर्भर बनेंगे। खादी और ग्रामोद्योग आयोग महिला बंदियों को ब्यूटीशियन व पुरुष बंदियों को मोटर मैकेनिक का प्रशिक्षण देने जा रहा है।
10 सितंबर से शुरू होगा प्रशिक्षण
उप कारागार हल्द्वानी में बंदियों के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं। इस बार जेल प्रशासन खादी और ग्रामोद्योग आयोग सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम मंत्रालय के सहयोग से 10 सितंबर से महिलाओं के लिए ब्यूटीशियन व पुरुषों के लिए मोटर मैकेनिक प्रशिक्षण शुरू करेगा। इच्छुक 20 महिला व 20 पुरुष इसमें शामिल होंगे।
किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं, उम्र इतनी
प्रशिक्षण के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अधिकतम उम्र 50 वर्ष तक रखी गई है। दो माह तक चलने वाले प्रशिक्षण का खर्च खादी व ग्रामोद्योग व जेल प्रशासन आपस में तालमेल बैठाकर वहन करेंगे। इससे पहले जेल प्रशासन 40 बंदियों को एलईडी बल्ब, झालर बनाने का प्रशिक्षण दे चुका है। आजादी के अमृत महोत्सव में बंदियों की ओर से बनाई गई झालरों को बाजार में खूब पसंद किया गया था।पब्लिक एड्रेस सिस्टम शुरू
जेल प्रशासन ने पब्लिक एड्रेस सिस्टम शुरू किया है। बंदियों से मिलने वालों को अब कोई परेशानी नहीं होगी। जिसे मुलाकात करनी होगी वह अपने नाम की पर्ची जेल कर्मचारियों तक पहुंचाएंगे। लाउड स्पीकर के माध्यम से उनका नाम लेकर बताया जाएगा कि मुलाकात किस काउंटर पर आकर करनी है। अभी तक मिलने के लिए काउंटर पर अपनों को खोजना पड़ता था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।मुलाकात करने वालों की संख्या बढ़ी
सोमवार को उप कारागार में बंदियों व कैदियों से मिलने वालों की संख्या बढ़ गई। सुबह 10 बजे से लोग गेट पर जुटने लगे। दोपहर दो बजे तक लोगों की मुलाकात कराई गई।उपकारागार में बंदियों को हुनरमंद बनाया जा रहा है। प्रशिक्षण कराने का उद्देश्य बंदियों व कैदियों का माइंड डायवर्ट करना भी है। ताकि वह किसी काम में उलझे रहें।
सतीश सुखीजा, जेल अधीक्षक।