अद्भुत जलीय जैव विविधता केंद्र : यहां हो रहा पूजन, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण
चंपावत के टनकपुर में एक अनोखा जलीय जैव विविधता केंद्र को विकसित किया गया है, जहां जलीय जीवों को पर्यटक निहार रहे हैं। इसके साथ ही पूर्णागिरि दर्शन व नन्धौर सेंचुरी का भी लाभ उठा रहे हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:25 AM (IST)
दीपक सिंह धामी, टनकपुर : यूं तो पूरा पहाड़ प्राकृतिक सुंदरता की खान है। पर चंपावत के टनकपुर में एक अनोखा जलीय जैव विविधता केंद्र को विकसित किया गया है, जहां जलीय जीवों को पर्यटक निहार रहे हैं। यह उत्तराखंड का पहला ऐसा केंद्र है। इसके अलावा यहां आने वाले पर्यटकों को एक साथ तीन अद्भुत पर्यटन आयामों से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। पहला नंधौर वन सेंचुरी में पर्यटक प्रकृति व जीव जंतुओं को देख रहे हैं। दूसरा पास में स्थित मां पूर्णागिरि धाम के दर्शन लाभ। इसके साथ तीसरा शारदा बैराज के पास बनी बंजर भूमि में जलीय पौधों के संरक्षण के साथ कछुआ, मछलियों तथा अन्य प्रजाति जलीय जीवों के अलावा यहां पक्षियों का आनंद उठा रहे हैं। इस तरह पर्यटन, पूजन के साथ पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है।
उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम की चरणस्थली में स्थित शारदा बैराज के पास चार हेक्टेयर में बने जलीय जैव विविधता केंद्र अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है। यहां की जैव विविधता और हरियाली से लोग खिंचे चले आ रहे हैं। धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु भी इसका दीदार करने पहुंच रहे हैं। पिछले साल उद्घाटन के बाद अब यहां पर्यटन की गतिविधियों को बल मिलने लगा है। खास बात यह है कि यहां पड़ोसी देश नेपाल से भी सैलानी दीदार के लिए पहुंच रहे हैं।
प्रदेश का पहला केंद्र : हल्द्वानी प्रभाग के डीएफओ चन्द्र शेखर सनवाल ने बताया कि जलीय पौध एवं जीव संरक्षण के लिए यह केंद्र मील का पत्थर साबित होगा। केंद्र के विकास के लिए वन विभाग भी अपनी ओर से पहल करेगा। यह उत्तराखंड का पहला ऐसा केंद्र है जो जैव विविधता को संरक्षण दे रहा है।
चार तालाब बढ़ा रहे शोभा : जलीय जैव विविधता केंद्र में चार बड़े तालाब बनाए गए हैं। तालाब में मछली, केकड़ा, वाटर स्नैक आदि का संरक्षण किया जा रहा है। साथ ही साइबेरियन पक्षी भी इन तालाबों में बैठकर पर्यटकों को लुभा रहे हैं।
विलुप्त कछुवे की प्रजाति का हो रहा है संरक्षण : केंद्र में विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके कछुओं का भी संरक्षण किया जा रहा है। वर्तमान में यहां तीन दर्जन से अधिक कछुवे पाले जा रहे हैं। कछुओं को यहां पर्याप्त पर्यावरणीय संरक्षण मिल रहा है। जिसे देखते हुए आने वाले दिनों में यहां और अधिक कछुओं को पाला जाएगा।यह है प्रवेश शुल्क : वन विभाग ने बच्चों के लिये 10 रुपये व वयस्कों के लिये 20 रुपया प्रवेश शुल्क रखा है। इससे मिलने वाली धनराशि इसी के विकास कार्य में लगाई जाती है। प्रवेश शुल्क कम होने से यहां बड़ी संख्या में लोग जलीय जीवों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
पक्षियों का भी कीजिए दीदार : पर्यटक पक्षियों में मैना, बुलबुल, कठफोड़वा, साइबेरियन पक्षी आदि का दीदार कर सकते हैं। इन दिनों साइबेरियन पक्षी शारदा नदी में पहुंचते हैं और यहां बने चार बड़े तालाबों में भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। डीएफओ सनवाल ने बताया कि जलीय जैव विविधता केंद्र को विकसित किया जा रहा है। साथ ही पर्यटकों के लिये कैंटीन की व्यवस्था की जा रही है और अधिक विकसित करने के लिये इसका क्षेत्रफल बढ़ाया जा रहा है। इसे विभागीय कार्ययोजना में भी शामिल किया गया है।
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