World Asteroid Day 2023: पृथ्वी के सबसे बड़े दुश्मन हैं एस्टेरॉयड, इस एक वजह से हो सकते हैं फायदेमंद
World Asteroid Day 2023 भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के रिटायर्ड विज्ञानी प्रो. आरसी कपूर के जीवन का बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष के प्रति समर्पित रहा है। वह कहते हैं कि लघु ग्रह का पृथ्वी से टकराना भयानक आपदा है। इनमें बड़े आकार के पिंडों पर नजर रखने की जरूरत होती है। साथ ही ऐसी किसी आपदा से निपटने की तैयारी करना व सभी देशों को सम्मिलित कर विचार करना है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 30 Jun 2023 10:04 AM (IST)
रमेश चंद्रा, नैनीताल: World Asteroid Day 2023: लघु ग्रह (क्षुद्र ग्रह) ने डायनासोरों का अस्तित्व धरती से मिटा दिया। चेल्याबिंस्क जैसी विनाशकारी घटना 100 वर्ष में और तुंगुस्का जैसी घटना शायद 300 वर्ष में एक बार होती है। ये घटनाएं आकाश से पृथ्वी पर हुई विनाशकारी चेतावनी देते हैं। इनके प्रति जागरूकता को लेकर हर वर्ष 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्र ग्रह दिवस मनाया जाता है।
लघु ग्रह का पृथ्वी से टकराना भयानक आपदा
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के रिटायर्ड विज्ञानी प्रो. आरसी कपूर के जीवन का बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष के प्रति समर्पित रहा है। वह कहते हैं कि लघु ग्रह का पृथ्वी से टकराना भयानक आपदा है।
इनके प्रति जागरूकता को लेकर वर्ष 2015 से 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्र ग्रह दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसका मुख्य उद्देश्य मानवता की रक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना है। साथ ही ऐसी किसी आपदा से निपटने की तैयारी करना व सभी देशों को सम्मिलित कर विचार करना है।
रूस के चेल्याबिंस्क में 15 फरवरी 2013 को घटी घटना ने विश्व के वैज्ञानिकों समेत स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया था। इस घटना से आसमान में एक बड़ा बम फटा था। यह वास्तव में एक छोटा लघु ग्रह था, जो अंतरिक्ष में विचरते हुए पृथ्वी के गुरुत्व बल के आकर्षण से हमारी ओर खिंचा चला आया।
यह 19 मीटर आकार वाला 10 हजार टन का चट्टानी पिंड था। 65 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वातावरण से 20 किमी की ऊंचाई पर टकराया था। इतनी ऊंचाई पर फटने के बावजूद सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए और 1200 लोग बुरी तरह घायल हो गए। अध्ययन के अनुसार 500 किलो टन ऊर्जा विसरित हुई, जो 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से तीस गुना अधिक थी।
पृथ्वी के निकट से रोजाना गुजरते है लघु ग्रह
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार पृथ्वी के निकट से रोजाना हज़ारों-लाखों उल्काएं और अनेक लघु ग्रह गुजरते हैं। उनमें अधिकांश उल्काएं पृथ्वी के वातावरण में 80-90 किलोमीटर की ऊंचाई पर जलकर नष्ट हो जाते हैं। इन्हें हम टूटते तारे के रूप में देखते हैं। इनमें बड़े आकार के पिंडों पर नजर रखने की जरूरत होती है।
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