विश्व की सबसे खतरनाक बाघिन का जहां जिम कॉर्बेट ने किया था शिकार उसे बनाया जाएगा पर्यटन स्थल
चंपावत जिला मुख्यालय से महज पांच किमी दूर गौड़ी के बाघ-बरूड़ी के जिस जंगल में जिम कॉर्बेट ने विश्व की सबसे खतरनाक बाघिन का शिकार किया था उसे पर्यटन स्थल बनाया जाएगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 06 Jan 2020 11:19 AM (IST)
चम्पावत, जेएनएन : चंपावत जिला मुख्यालय से महज पांच किमी दूर गौड़ी के बाघ-बरूड़ी के जंगल में जिम कॉर्बेट ने विश्व की सबसे खतरनाक बाघिन का शिकार किया था। प्रशासन उस जगह को विकसित कर पर्यटन स्थल बनाएगा । यही नहीं प्रशासन उत्तराखंड के 13 डिस्ट्रिक्ट 13, डेस्टिनेशन योजना के तहत जिम कॉर्बेट ट्रेल के नाम से प्रस्ताव बना रहा है। आपको बता दें की करीब दो साल पहले प्रशासन ने उस खुकरी और तलवार को खोज निकाला था जिसे जिम कॉर्बेट ने बाघ का शिकार करने के बाद डुंगर सिंह को दी दिया था। लेकिन उनके परिजनों को उसकी जानकारी नहीं थी। परिजनों ने जब घर की छानबीन की तो उन्हें यह खुकरी व तलवार मिल गई। लेकिन उन्होंने उसे प्रशासन को देने से मना कर दिया। जिसके बाद परिजनों ने प्रशासन से उस स्थान को विकसित करने की मांग की थी ताकि लोगों को उस स्थान के महत्व के बारे में पता चल सके। जिसके बाद से ही प्रशासन ने उस स्थान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू की।
किताब में पता चला जिम कॉर्बेट के खुकरी और तलवार के बारे में
चंपावत जिले में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए वर्तमान जिलाधिकारी सुरेंद्र नारायण पांडे ने अपने पूर्व कार्यकाल में 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिेशन योजना के तहत कार्य करना शुरू किया था। प्रशासन जिम कॉर्बेट के महत्व को बेहतर तरह से जानता था। लिहाजा पर्यटन सर्किट के प्रस्ताव में जिम कॉर्बेट ट्रेल को भी रखा। जिसमें जिम कॉर्बेट द्वारा नरभक्षी बाघिन को मारने वाले उन सभी स्थानों को ट्रेल में शामिल किया और उनको विकसित करने के लिए सर्वे शुरू कराया। प्रशासन को जब 'द मैन इटर ऑफ कुमाऊं' किताब में जिम कॉर्बेट की ऐतिहासिक खुकरी व तलवार के बारे में पता चला तो उसकी खोज शुरू की। पता चला कि जिम कॉर्बेट ने अपनी खुकरी व तलवार गौड़ी निवासी डुंगर सिंह को उपहार स्वरूप दी थी, लेकिन डुंगर की मृत्यु के बाद परिजन उसके महत्व को भूल गए।
परिजनों को जब पता चला महत्व तो घर में तलाश ली खुकरी और तलवार
जब परिजनों से प्रशासन ने उसके बारे में पूछताछ शुरू की तो परिजनों को उसके महत्व के बारे में पता चला। परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की तो वह चम्पावत निवासी डुंगर सिंह के पुत्र गोपाल सिंह के पुराने घर में लकड़ी और अन्य सामान रखने वाली जवगह (भाड़) में इस प्रकार का ऐतिहासिक सामान पड़ा हुआ मिला। बहरहाल जब प्रशासन ने उस खुकरी व तलवार को परिजनों मांगा तो परिजनों ने उसे देने से मना कर दिया। परिजनों ने प्रशासन से मांग की कि वह उस स्थान पर पार्क बनाकर वहां पर इन शस्त्रों को म्यूजियम बनाकर रखें। जिसे लोग वहां आकर उसे देख सकें। इससे क्षेत्र का विकास तो होगा ही साथ ही पर्यटन भी बढ़ेगा।
436 लोगों को निवाला बनाने नरभक्षी बाघिन का इसी खुकरी व तलवार से जिम ने किया था शिकार प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक 1907 में चम्पावत क्षेत्र में नरभक्षी बाघिन का आतंक छाया हुआ था। वह बाघिन नेपाल से लेकर चम्पावत यानी महाकाली नदी के इस और उस पार करीब 436 लोगों को निवाला बना चुकी थी। इसकी सूचना मिलने पर प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट ने चम्पावत में डेरा डाल दिया था। उस नरभक्षी बाघ की लोकेशन जानने के लिए तब जिम कॉर्बेट ने चौड़ा गांव निवासी डुंगर सिंह से मदद मांगी थी। गाइड डुंगर सिंह की निशानदेही पर ही जिम कॉर्बेट ने चम्पावत के गौड़ी रोड में बाघ-बरुड़ी नामक जंगल में उस खतरनाक नरभक्षी बाघिन का खात्म कर लोगों को उसके आतंक से निजात दिलाई थी। सर्वाधिक लोगों का शिकार करने के लिए वह नरभक्षी बाघिन 'वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ गिनीज बुक' में दर्ज है। गोपाल ने बताया कि कॉर्बेट ने बाघिन के मारने में मदद करने पर उनके पिता को यह खुकरी व तलवार भेंट की थी।
बाघिनों के हुए शिकार वाले सभी स्थान होंगे विकसितप्रशासन के अनुसार जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित गौड़ी में बाघ-बरुड़ी नामक स्थान पर जिम कॉर्बेट ने 1907 में विश्व की सबसे खतरनाक बाघिन का पहला शिकार किया था। 1909 में कॉर्बेट ने देवीधुरा मंदिर के पास में भी एक बाघ (टैंपल टाइगर) को मारने का प्रयास किया मगर वह सफल नहीं हो पाया था। 1929 में कॉर्बेट ने तल्लादेश के ठूलाकोट में एक और बाघ का शिकार किया। 30 नवंबर 1938 में पूर्णागिरि के ठक गांव में एक और नरभक्षी बाघ का शिकार किया था। अपने जीवन के अंतिम नरभक्षी का शिकार जिम ने 1946 में लधियाघाटी में किया था। प्रशासन ने पर्यटन सर्किट में उन सभी स्थानों को विकसित करने प्रस्ताव रखा है।
खुकरी की तलाश में सालों से आ रहे थे विदेशीजिम कार्बेट द्वारा डुंगर सिंह को दी गई खुकरी व तलवार को तलाश करने के अक्सर विदेशी पर्यटक गौड़ी पहुंचते थे। गौड़ी रोड के आखिरी छोर पर डुंगर के पुत्र गोपाल की दुकान है। जहां विदेशी पहुंचकर खुकरी व तलवार के बारे में पूछा करते थे। मगर सभी विदेशी उस खुकरी की फोटो खींचने की तमन्ना दिल में लिए बैरंग लौटते थे। हालांकि वह लोग गोपाल सिंह की मदद से उस स्थान पर जरूर पहुंचते थे जहां, नरभक्षी बाघ का अंत किया गया था। गोपाल ने बताया कि उनके पिता का जिक्र कॉर्बेट की किताब के अलावा यूपी के समय प्रचलित पाठ्य पुस्तकों में भी 'नरभक्षी बाघिन का अंत' नामक शीर्षक से खूब प्रचलित हुआ करता था। कॉर्बेट की किताब से जानकारी मिलने पर चम्पावत आने वाले जर्मनी, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और हंगरी आदि देशों के लोग अक्सर उनके घर पहुंचते ही रहते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल कनार्टक राच्य के किसी जिले से एक डीएफओ भी उनके घर पहुंचे थे।
क्षेत्र में विकास से बढ़ेगा पर्यटन डुंगर सिंह के पौत्र प्रकाश सिंह ने बताया कि जिम कॉर्बेट के नाम के चलते गौड़ी और बाघ-बरुड़ी स्थान पर देश विदेश के पर्यटक आते रहते हैं। मगर इस स्थान पर सुविधाओं का पूरी तरह टोटा है। सड़क खस्ताहाल होने से हादसों का भय बना रहता है। उस स्थान को विकसित करने के लिए प्रशासन से मांग की गई। जिससे क्षेत्र का विकास होने के साथ पर्यटन बढ़ेगा।
खुकरी व तलवार देखने वालों का लगा तांता खुकरी व तलवार मिलने के बाद गौड़ी निवासी प्रकाश सिंह के घर पर खुकरी व तलवार देखने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है। रविवार को पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोविंद सामंत, ब्लॉक प्रमुख पति विरेंद्र सिंह समेत कई लोगों ने खुकरी व तलवार के साथ सेल्फी ली।
डीएम ने कहा पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा और लोगों को रोजगार एसएन पांडे, जिलाधिकारी, चम्पावत ने कहा कि पर्यटन सर्किट में जिम कॉर्बेट ट्रेल का निर्माण किया जाना है। इस ट्रेल में उन सभी स्थानों को विकसित किया जाएगा जिन स्थानों पर जिम कॉर्बेट ने बाघिन का शिकार किया है। गौड़ी में उस स्थान पर जिम कॉर्बेट की मूर्ति लगवाने के साथ खुकरी व तलवार को म्यूजियम बनाकर रखा जाएगा। उस स्थान पर होम स्टे को भी बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे क्षेत्र में पर्यटन बढ़ सके। डुंगर सिंह के परिजनों से उस संबंध में बात की जाएगी। इससे क्षेत्र में पर्यटन पढ़ेगा।
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