कत्यूरी वंशजों को संगठित करने के लिए युवाओं ने उठाया कदम, सोशल मीडिया पर लोगों को जोड़ रहे
कत्यूरी राजमाता जिया महारानी के वंशज अपने गौरवशाली विरासत व धरोहर को बचाने के लिए आगे आए हैं। कुछ युवाओं ने कत्यूरी वंशजों को संगठित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 11 Jan 2020 12:25 PM (IST)
हल्द्वानी, गणेश पांडे : कत्यूरी राजमाता जिया महारानी के वंशज अपने गौरवशाली विरासत व धरोहर को बचाने के लिए आगे आए हैं। कुछ युवाओं ने कत्यूरी वंशजों को संगठित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाया है। ये युवा अपने गौरवशाली अतीत को संरक्षित करने के साथ नई पीढ़ी को उससे परिचित कराएंगे। सोशल मीडिया के जरिये कुमाऊं व गढ़वाल से 81 युवाओं को जोड़ा जा चुका है।
राज्यभर में हैं कत्यूरी राजवंश के वंशज उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में कत्यूरी राजवंश के वंशज रहते हैं। जियारानी को अपनी कुलदेवी मानने वाले कत्यूरी वंशज मकर संक्रांति पर रानीबाग चित्रशिला धाम में जुटते हैं। मकर संक्रांति के पहली रात जियारानी का जागर लगती है, जबकि दूसरे दिन गार्गी नदी में स्नान के बाद कुलदेवी का पूजन कर अपने स्थानों को लौटते हैं। घाट पर लोगों को रहने, शौचालय, रोशनी व स्नान के बाद कपड़े बदलने की सुविधा नहीं है। कई बार मांग करने के बाद भी प्रशासन की ओर से पहल न होने पर युवाओं ने खुद के स्तर से प्रयास शुरू कर दिए हैं। मकर संक्रांति को रानीबाग में जुटने वाले युवा इस पर आगे की रणनीति बनाएंगे।
जान बचाने को गुफा में छिपी थीं रानी
47वें कत्यूरी राजा प्रीतमदेव की महारानी मौलादेवी यानी जियारानी एकांतवास में रानीबाग आई थीं। माना जाता है कि यहां जियारानी 12 साल रहीं। रोहिल्ला सिपाही उन्हें खोजते हुए यहां पहुंचे। सैनिकों से बचने के लिए रानी गुफा में छिप गईं। रानी की सेना हार गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी मिलने पर प्रीतमदेव ने सेना भेज रानी को छुड़ाया व अपने साथ ले गई। कहा जाता है कि जिस गुफा में जियारानी छिपी थी वह गुफा रानीबाग में आज भी है।
युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत को जानना चाहिए कुंवर यश सिंह बंगारी, मांसी अल्मोड़ा का कहना है कि कत्यूर वंशजों को संगठित करने के लिए हम लोगों ने प्रयास शुरू किए हैं। वाट्सएप के जरिये लोगों के संपर्क नंबर जुटाए जा रहे हैं। जल्द ही समिति गठित कर आगे का काम किया जाएगा। मनोज बंगारी, बैजरो पौड़ी गढ़वाल का कहना है कि रानीबाग से कत्यूर राजवंश के साथ अन्य लोगों की भी आस्था जुड़ी है। धाम में सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए। रानीबाग धाम के संरक्षण के लिए युवाओं को संगठित कर आवाज उठाई जाएगी। वहीं हर्षित छिमवाल, बैलपड़ाव रामनगर कहते हैं कि युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत से परिचित कराना जरूरी है। इसके लिए हम लोग सभी को संगठित कर रहे हैं। समिति के जरिये चित्रशिला धाम के विकास के लिए रणनीति बनाई जाएगी।
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