संस्कृत में है अपार ज्ञान का भंडार प्रो. कौल
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल ने कहा कि वैज्ञान
By Edited By: Updated: Sun, 06 Mar 2016 06:03 PM (IST)
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल ने कहा कि वैज्ञानिक भाषा संस्कृत अपार ज्ञान का भंडार भी है। हर व्यक्ति को संस्कृत सीखना, बोलना और समझना भी चाहिए। यह भाषा हमें अपनी गौरवमयी संस्कृति से भी जोड़ती है।
पर्यावरण में वेदों के महत्व को लेकर गढ़वाल विवि के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रो. कौल ने कहा कि हमारे आसपास विद्यमाठ हर वस्तु उपयोगी होती है आवश्यकता उसकी उपयोगिता को समझने की होती है। समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि यूकोस्ट देहरादून के महानिदेशक डॉ. आरपी डोभाल ने चरक संहिता में वर्णित श्लोकों का उदाहरण देते हुए संस्कृत, वेद और पर्यावरण के अंतर संबंधों और महत्व पर भी प्रकाश डाला। आमंत्रित अतिथि श्रीकृष्ण सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड प्राचीनकाल से ही विद्वानों और मुनियों की भूमि रही है। जहां पर विज्ञान के ज्ञान पर विराम लगता है वहीं से संस्कृत विज्ञान शुरू करती है। राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक प्रो. डीपी सकलानी ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की। गढ़वाल विवि के चौरास परिसर के निदेशक प्रो. जेपी भट्ट ने किसी भी कार्यक्रम में ¨हदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा भी है। प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने भी विचार व्यक्त किए। विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद नौटियाल ने आभार व्यक्त किया।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।