सिस्टम के चक्कर काट रहे पलायन की मार झेल रहे पहाड़ी युवक, बिजली कनेक्शन के पांच साल बाद सवा लाख का बिल भी भेज दिया विभाग
कोटद्वार में पलायन की मार झेल रहे पहाड़ों आबाद करने के लिए सरकार युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही है लेकिन सरकार की इस योजना को सरकारी सिस्टम ही पलीता लगा रहे हैं। ताजा मामला लैंसडौन तहसील के अंतर्गत ग्राम पाली का है जहां ऊर्जा निगम स्वरोजगार से जुड़ रहे एक युवा को पहले महीनों तक विद्युत संयोजन के लिए चक्कर कटवाता रहा।
By Ajay khantwalEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 19 Oct 2023 05:35 PM (IST)
रोहित लखेड़ा, कोटद्वार। पलायन की मार झेल रहे पहाड़ों आबाद करने के लिए सरकार युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही है लेकिन, सरकार की इस योजना को सरकारी सिस्टम ही पलीता लगा रहे हैं। ताजा मामला लैंसडौन तहसील के अंतर्गत ग्राम पाली का है, जहां ऊर्जा निगम स्वरोजगार से जुड़ रहे एक युवा को पहले महीनों तक विद्युत संयोजन के लिए चक्कर कटवाता रहा। महीनों बाद विद्युत संयोजन तो किया। करीब पांच वर्ष पूर्व किसी तरह कनेक्शन तो लग गया। साथ ही सवा लाख का बिल भी भेज दिया।
गुमखाल के समीप स्थित ग्राम पाली तल्ली निवासी सूर्यकांत बड़थ्वाल दिल्ली की एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे। प्रदेश सरकार की दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना से प्रेरित होकर उन्होंने अपने गांव की पैतृक भूमि में होम स्टे बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए बाकायदा उन्होंने नौकरी छोड़कर योजना के तहत मिलने वाले ऋण के लिए आवेदन किया। बताया कि किस्त मिलने तक उन्होंने अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से पैसा उधार लेकर होम स्टे निर्माण का कार्य शुरू करवा दिया था।
ऊर्जा निगम के काटते रहे चक्कर
एक वर्ष पूर्व उन्होंने होम स्टे के लिए घरेलू उपभोक्ताओं की दरों पर बिजली के लिए आवेदन किया। प्रथम चरण में गांव के समीप से विद्युत संयोजन किया जाना था। लेकिन, जयहरीखाल व दुगड्डा ब्लाक के क्षेत्राधिकार के मामले को लेकर उनके आवेदन को रद्द कर दिया गया। इसके उपरांत उन्होंने जनवरी 2023 को दुगड्डा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ऊर्जा निगम में आवेदन किया। लेकिन, विभाग ने आठ माह तक आवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह व उनके पिता लगातार ऊर्जा निगम के चक्कर काटते रहे।शिकायत करने बाद विभाग ने शुरू किया कार्य
उच्च अधिकारियों से शिकायत करने के बाद विभाग ने विद्युत संयोजन का कार्य शुरू किया। लेकिन, कार्य पूर्ण होने के बाद उन्हें 125800/- (एक लाख पच्चीस हजार आठ सौ रुपये) का बिल थमा दिया गया। जबकि, उन्होंने बिल के बारे में अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही तो वह गोल-मोल जवाब देने लगे।
दफ्तर के काट रहे चक्कर
नौकरी छोड़ घर आए सूर्यकांत बड़थ्वाल के कंधों पर अपने बुजुर्ग माता-पिता की भी जिम्मेदारी है। ऐसे में अब स्वरोजगार के सपने ने उनके समक्ष कई संकट खड़े कर दिए हैं। सूर्यकांत पूरे मामले की जांच करवाने के लिए लगातार कोटद्वार ऊर्जा निगम के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन, अब तक उन्हें बिल के संबंध में कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। सूर्यकांत का कहना है कि उन्होंने विद्युत संयोजन में हो रही देरी की शिकायत अधिकारी से की थी। जिसको लेकर उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया गया है।कोटद्वार खंड अधिशासी अभियंता नंदिता अग्रवाल के अनुसार, मामला संज्ञान में आया है। इस संबंध में सूर्यकांत की ओर से विभाग में लिखित शिकायत दी गई है। पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी। यह भी पढ़ें - नई दिल्ली में बोले मुख्यमंत्री धामी, कहा- इन्वेस्टर्स समिट के तहत इन देशों में विभिन्न निवेशक समूहों के साथ हुईं बैठकें
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