पदक के लिए खाली पेट दौड़ रही पहाड़ की बेटी, पढ़िए पूरी खबर
राष्ट्रीय स्तर की वॉक रेस प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुकी है अंकिता नेगी। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते पर्याप्त खुराक न मिल पाने के कारण उसके कदम डगमगा रहे हैं।
By Edited By: Updated: Sun, 19 Jan 2020 01:28 PM (IST)
कोटद्वार, अजय खंतवाल। राष्ट्रीय स्तर की वॉक रेस प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीत चुकी अंकिता नेगी अब देश के लिए पदक लाने का जज्बा मन में संजोए हुए है। लेकिन, आर्थिक तंगी के चलते पर्याप्त खुराक न मिल पाने के कारण उसके कदम डगमगा रहे हैं। उत्तराखंड की यह बेटी आसमान में परवाज भरना चाहती है, लेकिन सिस्टम इसमें सहयोग करने के बजाय उसके पर कतर रहा है।
पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लॉक स्थित ग्राम धामधार निवासी अंकिता नेगी के पिता सिपाही मोहन सिंह नेगी वर्ष 2011 में सेना से सेवानिवृत्त हुए। पेन्शन कुछ खास न होने के बावजूद उन्होंने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में कोई कसर बाकी नहीं रखी। यही वजह रही कि पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर की अंकिता यह मुकाम हासिल कर सकी। अंकिता का सपना खेल की दुनिया में माता-पिता के साथ ही क्षेत्र, प्रदेश एवं देश का नाम रोशन करने का है, जिसके लिए वह पूरी मेहनत से जुटी हुई है।
बकौल अंकिता, 'कोच अनूप बिष्ट के दिशा-निर्देशन में मैंने वॉक रेस के कई गुर सीख लिए हैं। लेकिन, उचित खुराक न मिल पाने के कारण लगातार परेशानियां बढ़ रही हैं। इस संबंध में मेरे कोच ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से भी वार्ता की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।'
अंकिता की उपलब्धियां इंटर करने के बाद अंकिता ने वर्ष 2017 में राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार में प्रवेश लिया और वर्ष 2018 में इंटर स्टेट यूनिवर्सिटी गेम्स में प्रतिभाग करते हुए 20 हजार मीटर वॉक रेस में स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष उसने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नार्थ जोन स्कूल गेम्स के तहत दस हजार मीटर वॉक रेस में स्वर्ण पदक हासिल किया। वर्ष 2019 में अंकिता ने संगरूर (पंजाब) में आयोजित नार्थ जोन स्कूल गेम्स में दस हजार मीटर वॉक रेस का रजत पदक जीता। इसी वर्ष उसने गुंटूर (आंध्र प्रदेश) में राष्ट्रीय जूनियर नेशनल चैंपियनशिप की दस हजार मीटर दौड़ में भी रजत पद हासिल किया। हाल ही में अंकिता ने 20 हजार मीटर वॉक रेस में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए क्वालीफाई किया है।
मुसीबतें तमाम, हौसले को सलाम अंकिता का सपना वॉक रेस में देश के लिए मेडल लाने का है। देहरादून में किराये के मकान पर रहते हुए वह इस सपने को साकार करने के लिए जमकर पसीना बहा रही है। घर से अंकिता को 4000 रुपये महीने का खर्चा मिलता है, जिसमें उसे किराये के साथ खान-पान की व्यवस्था भी करनी पड़ती है।यह भी पढ़ें: पहाड़ों में मौसम की मार, नहीं जुड़ रहे वर्चुअल क्लासेस के तार
एक एथलीट के जरूरी आहार अंकिता के कोच अनूप बिष्ट बताते हैं कि एक एथलीट के लिए रोजाना 3000 से 3500 कैलोरी, 70 प्रतिशत कॉर्बोहाइड्रेट, 150 से 200 ग्राम प्रोटीन, इलेक्ट्रोलाइट्स, विटामिन व कैल्शियम जरूरी है। लेकिन, आर्थिक तंगी के कारण अंकिता को यह खुराक नहीं मिल पा रही।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में हैरान और परेशान करती है शिक्षा व्यवस्था, जानिए इसकी वजह
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