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किसान की बेटी अंकिता ने लगाई आसमां की छलांग, रोशन कर रही उत्तराखंड का नाम

Ankita Dhyani पहाड़ की पथरीली पगडंडियों पर तेज चाल चलती अंकिता के पैरों को इन पगडंडियों ने ऐसी मजबूती दी कि आज वह पंद्रह सौ तीन हजार पांच हजार व दस हजार मीटर की राष्ट्रीय स्तर की दौड़ में सोना-चांदी समेट रही हैं।

By Nirmala BohraEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 03:00 PM (IST)
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Ankita Dhyani : राष्ट्रीय स्तर पर सफलता के परचम लहरा रही अंकिता ध्यानी। जागरण
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : Ankita Dhyani :  ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, इक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों’, प्रखंड जयहरीखाल के अंतर्गत ग्राम मेरूड़ा निवासी अंकिता ध्यानी पर यह कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है। पहाड़ की पथरीली पगडंडियों पर तेज चाल चलती अंकिता के पैरों को इन पगडंडियों ने ऐसी मजबूती दी कि आज वह पंद्रह सौ, तीन हजार, पांच हजार व दस हजार मीटर की राष्ट्रीय स्तर की दौड़ में सोना-चांदी समेट रही हैं।

खेल सुविधा के नाम पर स्कूल का छोटा सा मैदान

कोटद्वार से करीब सत्तर किमी. दूर स्थित है जहरीखाल ब्लाक का मेरूड़ा गांव। पचास-साठ परिवारों वाले इस गांव में शिक्षा के नाम पर एक प्राथमिक स्कूल मौजूद है व खेलने के नाम पर स्कूल का छोटा सा ऐसा खेल मैदान। मैदान के मध्य में ऊर्जा निगम ने हाईटेंशन लाइन का विद्युत पोल लगा है, जिस कारण स्कूल के शिक्षक स्वयं ही बच्चों को मैदान से दूर रहने की हिदायत देते हैं।

इन विषम परिस्थितियों में स्वयं की पहचान बनाने का सपना लिए मेरूड़ा निवासी महिमानंद ध्यानी व लक्ष्मी देवी की पुत्री अंकिता सपनों को साकार करने में जुट गई। नतीजा, मात्र 16 वर्ष की आयु में अंकिता राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई। गांव की पथरीली पगडंडियों में अंकिता ने अपनी शिक्षिका रिद्धि भट्ट की प्रेरणा से दौड़ना शुरू किया। इन पगडंडियों ने अंकिता के पैरों को इस कदर मजबूती दी कि आज वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता के परचम लहरा रही है।

अंकिता का सफर

  • अंकिता ने कक्षा आठ में पहली बार 2013-14 में रांची में संपन्न हुए स्कूल गेम्स में प्रतिभाग किया। इस प्रतियोगिता में अंकिता ने आठ सौ व 1500 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग किया, हालांकि, इसमें वह चौथे स्थान पर रही।
  • 2014-15 व 2015-16 में अंकिता पुन: नेशनल स्कूल गेम्स तक पहुंची। लेकिन, प्रथम तीन में स्थान नहीं बना पाई।
  • 2016-17 में पहली बार अंकिता ने एथलेटिक्स फेडरेशन आफ इंडिया की ओर से तेलंगाना में आयोजित तीन हजार मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान पाया।
  • 2016-17 में ही यूथ फेडरेशन की ओर से बड़ोदरा में आयोजित तीन हजार मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2017-18 में रोहतक में आयोजित राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में तीन हजार मीटर दौड़ में रजत पदक जीता।
  • 2018-19 में ही यूथ फेडरेशन की रांची में आयोजित प्रतियोगिताओं में 1500 मीटर दौड़ और रूद्रपुर में आयोजित राज्य ओलंपिक में पांच हजार मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
  • पुणे में आयोजित खेलो इंडिया में अंकिता ने 1500 व 3000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत साई हास्टल भोपाल में जगह पाई।
  • कड़े परिश्रम के दम में अंकिता ने 2019, 2020 में खेलो इंडिया में अलग-अलग दौड़ में स्वर्ण पदक, 2021 में भोपाल व गोवाहाटी में आयोजित प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते।
  • पटियाला में आयोजित प्रतियोगिता में कांस्य पदक व संगरूर में आयोजित प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया।
  • अगस्त 2021 में अंकिता ने नैरोबी (केन्या) में संपन्न हुई विश्व एथीलीट (अंडर-20) चैंपियनशिप में पांच हजार मीटर दौड़ में प्रतिभाग किया।

दक्षिण अफ्रीका में ले रहे प्रशिक्षण

अंकिता इन दिनों भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की ओर से दक्षिण अफ्रीका में बीस-दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में प्रतिभाग कर रही है। अंकिता का सपना अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने का है।

अंकिता की प्रतिभा को देखते हुए मध्य रेलवे मुंबई ने विभागीय सेवा में लिया है। अंकिता ने मध्य रेलवे में ज्वाइनिंग लेते ही 87-वीं आल इंडिया इंटर रेलवे एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2022 में प्रतिभाग किया। जिसमें उसने दस हजार मीटर दौड़ में स्वर्ण, 1500 मीटर दौड़ में रजत और मिक्स रिले रेस में कांस्य पद जीता।

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