स्पर्श गंगा अभियान को झटका, खोह नदी में गिर रहा है कूड़ा
स्पर्श गंगा दिवस के दिन क्षेत्र के तमाम विद्यालयों के एसएसएस स्वयंसेवी खोह नदी में पहुंचकर स्वच्छता अभियान चलाते हैं। पर निगम क्षेत्र से उठने वाला कूड़ा खोह नदी में डाला जाता है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 10 Jan 2020 04:13 PM (IST)
कोटद्वार, जेएनएन। कोटद्वार क्षेत्र में स्पर्श गंगा दिवस के दिन क्षेत्र के तमाम विद्यालयों के एसएसएस स्वयंसेवी खोह नदी में पहुंचकर स्वच्छता अभियान चलाते हैं। दरअसल, खोह नदी बिजनौर जिले में रामगंगा में जाकर गिरती है। क्षेत्र की जनता भले ही इस नदी को गंगा की सहायक नदी माने, लेकिन सरकारी सिस्टम के लिए खोह नदी का अस्तित्व सिर्फ सनेह क्षेत्र में उस संगम तक है, जहां यह नदी कोल्हू नदी के साथ मिलती है। अगर सरकारी सिस्टम खोह को गंगा की सहायक मानता तो शायद निगम क्षेत्र से उठने वाले कूड़े को खोह नदी में नहीं डाला जाता। हैरानी की बात तो यह है एनजीटी की ओर से भी खोह नदी में डाले जा रहे कूड़े को लेकर उत्तराखंड शासन को कड़े निर्देश दिए गए हैं, लेकिन सिस्टम मानने को तैयार नहीं।
वर्तमान में क्षेत्र की जनता जिस नदी को 'खोह' के नाम से जानती है, पुराणों में उसका जिक्र 'कौमुदी' के नाम से है। 'कौमुदी' अर्थात मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली नदी, लेकिन आज इस नदी की पूरी तस्वीर ही बेरंग हो चली है। कोटद्वार नगर निगम प्रशासन निगम क्षेत्र से प्रतिदिन उठने वाले करीब पचास टन कूड़े को इस नदी में गिरा रहा है। हालांकि, खानापूर्ति के नाम पर नदी किनारे ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाया गया है, लेकिन यह ग्राउंड कूड़े से इस कदर खचाखच भरा हुआ है कि यहां कूड़े से लदे वाहनों को ले जाने के बारे में सोचना भी बेमानी है।
ऐसे में सफाई कर्मी ट्रेंचिंग ग्राउंड के बाहर ही कूड़ा डाल अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं और यह कूड़ा नदी में जा रहा है। नदी में गिर रहे कूड़े के खिलाफ सामाजिक संस्था वॉल ऑफ काइंडनेस ने एनजीटी में गुहार लगाई थी, जिसके बाद एनजीटी ने उत्तराखंड शासन को इस संबंध में कड़े निर्देश जारी किए थे। साथ ही कूड़ा निस्तारण के लिए अन्यत्र स्थान ढूंढने को भी कहा था, लेकिन आज तक प्रशासन स्थान तलाश नहीं कर पाया।
यह भी पढ़ें: छह माह में शिफ्ट होगा प्रेमनगर-ठाकुरपुर रोड पर बनाए गए ट्रेंचिंग ग्राउंडफुटबॉल बनी फाइल
कोटद्वार में स्थाई ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए हल्दूखाता के समीप चयनित 0.98 हेक्टेयर वन भूमि से संबंधित फाइल पिछले लंबे समय से नगर निगम और वन विभाग के मध्य फुटबॉल बनी हुई है। पिछले कई सालों से वन विभाग और नगर निगम के अधिकारी अपने स्तर से ट्रेंचिंग के लिए सभी प्राथमिकताओं को पूरा करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आज तक यह दावे जमीन पर नहीं दिखाई दिए।
यह भी पढ़ें: प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ खाद्य सुरक्षा विभाग ने संभाला मोर्चा, पढ़िए पूरी खबरउपजिलाधिकारी योगेश मेहरा का कहना है कि सिडकुल की 11 हेक्टेयर भूमि में से दो हेक्टेयर भूमि नगर निगम को देने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। उक्त भूमि पर कूड़ा निस्तारण को प्लांट लगाया जाएगा। साथ ही दुगड्डा में भी कूड़ा निस्तारण के लिए भूमि की तलाश की जा रही है।
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