यहां बेटियों की बैंड टीम दे रही नारी सशक्तीकरण का संदेश, इस शिक्षक की है ये अनोखी पहल
राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगदेई के सहायक अध्यापक धर्मेंद्र सिंह नेगी बालिकाओं को ब्रास बैंड का प्रशिक्षण देकर नारी सशक्तीकरण का संदेश दे रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 11 Aug 2019 08:33 PM (IST)
पौड़ी, गुरुवेंद्र नेगी। पर्वतीय क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में सिमटती छात्र संख्या और इससे पैदा होते हालात किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे में राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगदेई के सहायक अध्यापक धर्मेंद्र सिंह नेगी न केवल बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाकर सरस्वती के आंगन को संवार रहे हैं, बल्कि बालिकाओं को ब्रास बैंड का प्रशिक्षण देकर 'नारी सशक्तीकरण' का संदेश भी दे रहे हैं। इसके लिए शिक्षक ने बालिकाओं की एक टीम बनाई है, जो ब्रास बैंड की मधुर धुनों की प्रस्तुति से अन्य विद्यालयों के सामने भी नजीर पेश कर रही हैं।
जिला मुख्यालय पौड़ी से दो सौ किमी से अधिक की दूरी पर स्थित दूरस्थ ब्लॉक नैनीडांडा का राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगदेई वर्ष 2011 में अस्तित्व में आया था। इसी दौरान यहां सहायक अध्यापक के रूप में धर्मेंद्र सिंह नेगी की तैनाती भी हुई। अल्मोड़ा जिले की सीमा से सटे इस विद्यालय में तब छात्र संख्या 21 थी। फिर शुरू हुई इसे संवारने की कवायद। इसके लिए धर्मेंद्र सिंह समेत अन्य शिक्षकों ने स्थानीय लोगों से संपर्क करना शुरू किया। नतीजा, वर्तमान में 49 नौनिहाल विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं।
इसी अवधि में शिक्षक धर्मेंद्र ने सेना से ब्रास बैंड का प्रशिक्षण लिया और फिर बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए 20 बालिकाओं की बैंड टीम बनाकर उसे प्रशिक्षित किया। आज यह टीम विद्यालय के हर आयोजन का अहम हिस्सा बन चुकी है। शिक्षक धर्मेंद्र सिंह कहते हैं कि यह सब वे किसी सम्मान के लिए नहीं, बल्कि बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कर रहे हैं। बताया कि आगे बालिकाओं को विशेषज्ञों के माध्यम से भी बैंड बजाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ऐसे मिली ब्रास बैंड बजाने की सीख
शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2011 में कुछ शिक्षकों को ब्रास बैंड का प्रशिक्षण लेने गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर लैंसडौन भेजा गया। इस टीम में शिक्षक धर्मेंद्र सिंह भी शामिल थे। यहां के सेना के प्रशिक्षकों ने प्रतिभागी शिक्षकों को बैंड बजाने का प्रशिक्षण दिया। धर्मेंद्र बताते हैं प्रशिक्षण लेकर उन्होंने विद्यालय की बालिकाओं को भी बैंड का प्रशिक्षण देने की योजना बनाई। इसमें शिक्षा विभाग ने भी वित्तीय सहायता की और संसाधन क्रय कर बालिकाओं को प्रशिक्षित करने का कार्य शुरू किया गया।
गढ़वाली भाषा पाठ्यक्रम तैयार करने रही अहम भूमिका
जिला मुख्यालय में गढ़वाल कमिश्नरी के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान आयोजित गढ़वाली भाषा पाठ्यक्रम पुस्तक के विमोचन अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शिक्षक धमेंद्र सिंह को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस पाठ्यक्रम को तैयार करने में धर्मेंद्र ने भी अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा जनवरी 2019 में उन्हें मुख्यमंत्री उत्कृष्टता और सुशासन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
पढ़ाई के साथ खेल में भी अव्वलशिक्षकों के प्रयास से अब तक विद्यालय के 50 छात्र-छात्राएं राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त कर चुके हैं। जबकि, विद्यालय के 31 छात्र-छात्राओं का चयन राष्ट्रीय साधन सह छात्रवृत्ति के लिए हुआ। बिना अनुदान कर रहे 'बाल अभिव्यक्ति' का प्रकाशनयह शिक्षक धर्मेंद्र का शिक्षा और बच्चों के प्रति लगाव ही है कि वे वर्ष 2013 से हर वर्ष विद्यालय की वार्षिक पत्रिका 'बाल अभिव्यक्ति' का प्रकाशन और संपादन करते आ रहे हैं। इसका व्यय वे स्वयं के वेतन से करते हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय जनता के सहयोग से उन्होंने मध्याह्न भोजन के लिए भी विद्यालय में डायनिंग टेबल की व्यवस्था कराई है।यह भी पढ़ें: स्वतंत्रता के सारथी: दवा कंपनी में नौकरी छोड़ी, गांव में जगाई रोजगार और विकास की उम्मीदयह भी पढ़ें: सीड बॉल से संवरेगी प्रकृति, हरे-भरे होंगे पथरीले क्षेत्र; जानिए इसके बारे मेंयह भी पढ़ें: उत्तराखंड में सेब की लाली पर सिस्टम का पीलापन भारी, पढ़िए पूरी खबरअब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
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