नए बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन और ट्रैकिंग जोन की है तलाश तो चले आइए यहां
कोटद्वा में युवा सोच बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन और ट्रैकिंग जोन के रूप में विकसित कर रही है। जिससे यहां पर्यटन की बेहतर उम्मीदें जोर पकड़ रही हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 08 Jul 2018 05:20 PM (IST)
कोटद्वार [अजय खंतवाल]: कोटद्वार क्षेत्र में पर्यटन विकास के लिए अब तक जितनी भी योजनाएं बनीं, वह फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई। लेकिन, क्षेत्र के युवाओं की ओर से कोटद्वार को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए किए जा रहे प्रयास अब सार्थक होते नजर आने लगे हैं। कोटद्वार निवासी राजीव बिष्ट के स्वप्रयासों की बदौलत जहां कोटद्वार क्षेत्र बेस्ट बर्ड वाचिंग केंद्र के रूप में प्रसिद्धि पा रहा है, वहीं कोटद्वार के ही शिवप्रसाद डबराल इस क्षेत्र को ट्रैकिंग जोन के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। डबराल अब तक क्षेत्र में चार ट्रैकिंग रूट विकसित कर चुके हैं, जो पर्यटकों को भी खासा लुभा रहे हैं।
कुछ वर्ष पूर्व तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि कोटद्वार क्षेत्र में पङ्क्षरदों की 400 से अधिक प्रजातियां वास करती हैं। अन्य स्थानों पर जहां सीजनल बर्ड वाचिंग होती है, वहीं कोटद्वार क्षेत्र में वर्षभर बर्ड वॉचर्स परिंदों का दीदार करते नजर आते हैं। कोटद्वार क्षेत्र को बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन सेंटर के रूप में विकसित करने में राजीव बिष्ट का महत्वपूर्ण योगदान है, जिन्होंने अकेले के दम पर क्षेत्र को नई पहचान दिलाई। आज देश ही नहीं, विदेशों में भी कोटद्वार क्षेत्र को बेस्ट बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन सेंटर के रूप में जाना जा रहा है।
पर्यटन के पथ पर एक मजबूत कदम
बर्ड वाचिंग के बाद अब कोटद्वार क्षेत्र ने पर्यटन के पथ पर एक कदम और आगे बढ़ाया है और क्षेत्र में पर्यटक ट्रैकिंग के लिए भी पहुंचने लगे हैं। क्षेत्र को ट्रैकिंग जोन के रूप में विकसित करने वाले ग्राम किशनपुर (कोटद्वार) निवासी शिव प्रसाद डबराल हैं, जिन्होंने एक वर्ष तक अकेले ही कोटद्वार क्षेत्र में ट्रैकिंग रूट विकसित किए और बीते तीन वर्षों से वे क्षेत्र में तलाशे गए अलग-अलग ट्रैकिंग रूट पर पर्यटकों को ले जा रहे हैं।
तीन वर्ष, बारह ग्रुप
शिवप्रसाद डबराल बताते हैं कि पिछले तीन वर्षों में उन्होंने क्षेत्र में चयनित चार रूट पर ट्रैकर्स के 12 समूहों को ट्रैकिंग करवाई। बताया कि उनके पास दिल्ली, मुंबई, झांसी, पानीपत आदि स्थानों से ट्रैकर्स पहुंचते हैं। डबराल के अनुसार इन समूहों के अलावा उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन टीम, इंटरनेशनल माउंटेनियरिंग ग्रुप सहित कई अन्य संस्थानों से जुड़े लोगों ने भी इन रूट्स पर ट्रैकिंग की है। कहते हैं, कोटद्वार क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है। ट्रैकिंग के दौरान मिलने वाले अनुभवों के आधार पर यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि कोटद्वार क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। जरूरत सिर्फ सकारात्मक प्रयासों की है। क्षेत्र में तलाशे गए ट्रैकिंग रूट
रूट, लंबाई कण्वाश्रम-चरेख, 20 किमी
कण्वाश्रम-महाबगढ़, 18 किमी घराट-मुंडला-चरेख, 14 किमी
चरेख-उमरैला, आठ किमी यह भी पढ़ें: यहां के युवाओं ने गांव की प्यास बुझाने के लिए पहाड़ को दी चुनौती
यह भी पढ़ें: इस मानसून से सरकारी भवन सहेजने लगेंगे वर्षा जलयह भी पढ़ें: उत्तराखंड में इस संस्था की पहल से चहक उठे 52 सूखे जल धारे
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।