बॉन्ड तोड़ने पर डॉक्टरों को अब देना होगा एक करोड़ रुपये
राजकीय शुल्क में एमबीबीएस कर डॉक्टर बनने वालों को अनुबंध तोड़ने पर 30 लाख के बजाय एक करोड़ की राशि जमा करनी होगी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 01 Jul 2018 08:47 PM (IST)
श्रीनगर गढ़वाल, पौढ़ी [जेएनएन]: राजकीय शुल्क में एमबीबीएस कर डॉक्टर बनने वालों के लिए अब अनुबंध तोड़ना आसान नहीं होगा। इसके लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में इस बार से अनुबंध तोड़ने वालों को 30 लाख के बजाय एक करोड़ की राशि जमा करनी होगी। इस बार एमबीबीएस-प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्रों पर यह नियम लागू होगा।
पहाड़ के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए सरकार ने तय किया है कि जो छात्र अनुबंध के तहत पढ़ाई करेंगे, उनको एमबीबीएस के लिए प्रतिवर्ष मात्र 50 हजार फीस देनी पड़ेगी। जबकि, अनुबंध से बाहर रहने पर यह फीस चार लाख रुपये प्रतिवर्ष होगी। अब तक अनुबंध की शर्तों का पालन न करने की दशा में संबंधित डॉक्टर को 30 लाख रुपये जमा करने होते थे। इसके पीछे सरकार की मंशा यह थी कि पहाड़ के दूरस्थ अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती हो सके।विदित हो कि अनुबंध करने वाले छात्रों को एमबीबीएस कोर्स करने के बाद पांच साल तक पहाड़ के अस्पतालों में अनिवार्य रूप से सेवाएं देनी थी। इसके लिए एमबीबीएस-प्रथम वर्ष में प्रवेश लेते समय उन्हें इन सेवा शर्तों से संबंधित अनुबंध करना होता है। लेकिन, देखने में आ रहा है कि उत्तराखंड के ही मूल निवासी भी राजकीय शुल्क पर एमबीबीएस करने के बाद पहाड़ में सेवा करने के बजाय अनुबंध से मुक्ति पाने के लिए निर्धारित शुल्क जमा करने को प्राथमिकता देने लग गए हैं।
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.चंद्रमोहन सिंह रावत ने बताया कि ऐसे ही दो डॉक्टर अब तक कॉलेज के अनुबंध से मुक्ति पा चुके हैं। इनमें एक ऊधमसिंह नगर और एक रुड़की निवासी है। बताया कि दो अन्य डॉक्टरों को भी अनुबंध की शर्तों का पालन करने को लेकर कॉलेज के प्राचार्य की ओर से नोटिस दिया गया है।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के अशासकीय विद्यालयों में नियुक्तियों का रास्ता हुआ साफ
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