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सम्राट भरत की जन्मस्थली से कण्वाश्रम से छटेंगे गुमनामी के बादल, जानिए

कोटद्वार में स्थित चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम पर के ऊपर से अब गुमनामी के बादल छंटने लगेंगे। एएसआइ कण्वाश्रम की तस्वीर बदलने जा रहा है।

By Edited By: Updated: Mon, 18 Jun 2018 05:29 PM (IST)
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सम्राट भरत की जन्मस्थली से कण्वाश्रम से छटेंगे गुमनामी के बादल, जानिए
कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल[अजय खंतवाल]: गुमनामी के अंधेरों में दफन महर्षि कण्व की तपोस्थली एवं चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम के शायद अब दिन बहुरने लगे हैं। बीते वर्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कण्वाश्रम का साइट प्लान तैयार कर इस स्थल का इतिहास खंगालने की तैयारी कर चुका है। वहीं, अब केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने कण्वाश्रम को स्वच्छ भारत मिशन के तीसरे चरण में देश के दस दर्शनीय स्थानों की सूची में शामिल कर लिया है। 

कण्वाश्रम के प्रचार-प्रसार में जुटे सत्यप्रकाश रेशू बताते हैं कि उनकी ओर से लगातार पत्र के जरिये प्रधानमंत्री को कण्वाश्रम की स्थिति से अवगत कराया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तीसरे चरण के लिए जारी सूची में कण्वाश्रम को शामिल किए जाने के बाद इस क्षेत्र की तस्वीर बदलना तय है। 

ऐसे हुई कण्वाश्रम की खोज 

1955 में प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू की रूस यात्रा के दौरान रूसी कलाकारों ने महाकवि कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुंतलम' पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। इसी दौरान एक रूसी दर्शक ने पं.नेहरू से कण्वाश्रम के बारे में जानना चाहा, लेकिन उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं थी। सो, वापस लौटते ही पं.नेहरू ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद को अभिज्ञान शाकुंतलम में वर्णित कण्वाश्रम की खोज का दायित्व सौंप दिया। 

प्राचीन ग्रंथों पुराणों, इतिहास, पुरातात्विक प्रमाणों व शोध से प्रमाणित हुआ कि पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार से 12 किमी दूर मालिनी नदी के तट पर कण्वाश्रम रहा होगा। 1956 में पं.नेहरू व डॉ. संपूर्णानंद के निर्देश पर तत्कालीन वन मंत्री जगमोहन सिंह नेगी कोटद्वार पहुंचे और कण्वाश्रम (चौकीघाटा) के निकट एक स्मारक का शिलान्यास किया। 

इस तरह बदलेगी तस्वीर 

दस दर्शनीय स्थलों की सूची में शामिल होने के बाद केंद्र सरकार कण्वाश्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सफाई व्यवस्था बनाने के साथ ही ढांचागत सुविधाओं का भी विकास करेगी। इसके तहत जहां सीवेज का बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। वहीं, जल निकासी की सुविधाएं जुटाने के साथ सीवेज शोधन संयत्र (एसटीपी) की स्थापना भी की जाएगी। 

यह भी हैं योजनाएं 

-बेहतर स्वच्छता सुविधाएं, 

-वाटर वेंडिंग मशीन (वाटर एटीएम) की स्थापना 

-ठोस व तरल कचरा प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) इकाई की स्थापना 

-सड़कों का रख-रखाव 

-प्रकाश व्यवस्था 

-पार्कों का सौंदर्यीकरण 

-बेहतर परिवहन सुविधाओं का विकास 

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