अब नगर निगम भरोसे पर्वतीय बस अड्डा
जागरण संवाददाता कोटद्वार लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के अंतर्गत गिवईं बीट में पर्वत
By JagranEdited By: Updated: Thu, 30 Dec 2021 05:21 PM (IST)
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के अंतर्गत गिवईं बीट में पर्वतीय बस अड्डे के लिए चयनित भूमि गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन (जीएमओयू) को नहीं मिल पाएगी। शासन ने जीएमओयू को लाल झंडी दिखाते हुए नगर निगम से प्रस्ताव मांगा है। बताना जरूरी है कि भूमि हस्तांतरण से पूर्व ही वन भूमि पर नियमों को ताक में रह लाखों के निर्माण कार्य करवा दिए गए हैं।
कोटद्वार क्षेत्र में पार्किंग स्थल की कमी यातायात के सुचारू संचालन में बड़ी बाधा है। पार्किंग स्थल न होने के कारण वाहन चालक अपने वाहनों को सड़क किनारे खड़ा कर देते हैं, जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। सबसे अधिक परेशानी स्टेशन रोड पर है, जहां से परिवहन निगम के साथ ही जीएमओयू की बसों का संचालन होता है। स्थान की कमी को देखते हुए जीएमओयू ने क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डा.हरक सिंह रावत के समक्ष पर्वतीय बस अड्डे के लिए भूमि की मांग रखी। डा. रावत ने गिवईं स्त्रोत पुल के समीप स्थित करीब पांच बीघा वन भूमि को बस अड्डे के लिए प्रस्तावित कर दिया। साथ ही बस अड्डे/शौचालय/सुरक्षा दीवार निर्माण के लिए जिला खनिज न्यास निधि से पचास लाख की धनराशि स्वीकृत कर दी। भूमि हस्तांतरण के बिना ही प्रस्तावित पर्वतीय बस अड्डे को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए लाखों की धनराशि से सड़क का भी निर्माण कर दिया गया है। इधर, डा. हरक सिंह रावत के निर्देश पर पर्वतीय बस अड्डे की भूमि हस्तांतरण से संबंधित प्रस्ताव जीएमओयू ने शासन में भेज दिया। लेकिन, इस प्रस्ताव पर स्वीकृति की मोहर नहीं लग पाई। अब शासन ने पर्वतीय बस अड्डे की गेंद नगर निगम के पाले में डाल दी है। शहरी विकास निदेशालय के संयुक्त सचिव की ओर से नगर निगम को जारी पत्र में उक्त भूमि पर अपने खर्चे से पार्किंग व बस अड्डा निर्माण के निर्देश दिए गए। शासन की ओर से जारी निर्देशों के अनुरूप वन विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही नगर निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।
किशन सिंह नेगी, नगर आयुक्त, कोटद्वार नगर निगम प्रस्ताव जीएमओयू व लोनिवि की ओर से संयुक्त रूप से भेजा गया है। नगर निगम की ओर से इस भूमि के संबंध में कभी कोई पत्र व्यवहार नहीं किया गया। ऐसे में यह भूमि नगर निगम को नहीं दी जा सकती। भूमि हस्तांतरण के संबंध में वन मंत्री से वार्ता की गई है। जीत सिंह पटवाल, अध्यक्ष, जीएमओयू
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