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Coronavirus: श्रीनगर लैब को मिली कोरोना जांच की अनुमति Pauri News

राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अंतर्गत खुली कोरोना लैब में अब कोरोना रोगियों के सैंपलों की जांच भी हो सकेगी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Tue, 28 Apr 2020 11:26 AM (IST)
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Coronavirus: श्रीनगर लैब को मिली कोरोना जांच की अनुमति Pauri News
श्रीनगर गढ़वाल, जेएनएन। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अंतर्गत खुली कोरोना लैब में अब कोरोना रोगियों के सैंपलों की जांच भी हो सकेगी। आइसीएमआर से किट मिलते ही एक-दो दिन में श्रीनगर में ही यह जांच होनी शुरू हो जाएगी। किट प्राप्ति के लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ई मेल द्वारा लगातार आइसीएमआर के संपर्क में भी है। इससे अब किसी भी संदिग्ध कोरोना रोगी का सैंपल जांच के लिए एम्स ऋषिकेश अथवा हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज नहीं भेजा जाएगा।

पीजीआइ चंडीगढ़ ने श्रीनगर मेडिकल कालेज की कोरोना लैब के कार्यों को संतोषजनक पाते हुए कोरोना टेस्ट करने की अनुमति दे दी। इसके लिए पीजीआइ चंडीगढ़ के वायरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और कोविड टेस्टिंग के नोडल आफिसर डा. मिनी पी सिंह ने श्रीनगर मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को टेस्ट शुरू करने की लिखित अनुमति दे दी गयी है। 

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. चंद्रमोहन सिंह रावत ने मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. पूजा शर्मा को कोरोना लैब की नोडल अधिकारी का दायित्व भी दिया है। डॉ. पूजा ने डॉ. दीपक द्विवेदी और दो लैब अटेंडेंटों के साथ बीते 20 अप्रैल को पीजीआइ चंडीगढ़ में कोरोना टेस्ट का प्रशिक्षण लिया था। 

इसके बाद पीजीआइ चंडीगढ़ ने डा. पूजा को जांच के लिए टेस्ट सैंपल भी दिए थे और उस टेस्ट सैंपल की जांच में डा. पूजा शर्मा सफल भी रही। इसके आधार पर ही श्रीनगर मेडिकल कालेज की कोरोना लैब को अनुमति मिली है।

रिक्त पड़े हैं लैब टेक्नीशियन के पद 

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्णप्रयाग सहित चमोली के जिला चिकित्सालय में कई वर्षो से स्थायी लैब टेक्नीशियन पद रिक्त पड़े हैं। जिससे देश में कोरोना महामारी के आने से कांट्रेक्ट पर कार्य कर रहे एनएचएम कर्मचारियों पर अचानक काम का बोझ बढ़ गया है। यह कर्मचारी एक स्थाई लैब टेक्निशियन की पात्रता तो रखते हैं।

मानक पूरे होने के बावजूद भी शासन इन्हें स्थाई कर्मचारी नहीं मानता। यहीं कारण है कि पिछले 16 वर्षों से कर्मचारियों द्वारा की जा रही नियमितीकरण की मांग शासन द्वारा अनसुनी की जा रही है। विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्य कर रहे यह एनएच कर्मचारी (एनटीईपी) नेशनल ट्यूबरकुलेसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम के साथ-साथ ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों के खून की जांच का कार्य भी देख रहे हैं जिससे उनके कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

सभी सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव 

चमोली जिले में कोरोना जांच के लिए लिये गए सभी 21 ब्लड सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। एहतियात के तौर पर जिला अस्पताल गोपेश्वर में दो मरीजों को आइसोलेशन में रखा गया है। चमोली जिले में अभी तक 173 लोग होम क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर चुके हैं, जबकि दस लोगों को फेसेलिटी क्वारंटाइन में रखा है। 

बता दें कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए जिले में अभी भी 1564 लोग होम क्वारंटाइन में चल रहे हैं। होम क्वारंटाइन लोगों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गठित 23 मोबाइल चिकित्सा टीमों ने 38 गांवों में घर-घर जाकर 201 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। मोबाइल चिकित्सा टीम मजदूरों का भी हेल्थ चेकअप कर रही है। 

जिले में 10 लोगों को फेसेलिटी क्वारंटाइन किया गया। कोरोना संक्रमण पर निगरानी रखने के लिए 18 ब्लाकों की टीमें काम कर रही हैं। इन टीमों ने कोरोना संदिग्धों की जानकारी जुटाने के लिए अब तक 6083 लोगों से संपर्क किया है।

नाराजगी जताई

जोशीमठ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एनटीईपी के तहत कार्य करने वाले कर्मचारियों ने शासन के विरुद्ध नाराजगी जताई है। कर्मचारियों की मानें तोविकट परिस्थितियों में विभाग व सरकार को उनकी याद तो आती है, कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार जहां नियमित कर्मियों को सुविधाएं दे रही है।

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वहीं कान्ट्रेक्ट पर कार्यरत कर्मचारी स्वयं को बीमारी के बीच असुरक्षित महसूस करते हुए भी अपने कर्तव्य का बखूबी पालन कर रहे हैं। बता दें वर्ष 2003 से लैब टेक्निशियन की पात्रता रखने वाले एनएचएम के कर्मचारी रिक्त पदों पर तैनाती की मांग कर रहे हैं। लेकिन अधिकारी उन्हें आउट सोर्सिग के जरिए नियुक्ति का भरोसा देकर इतिश्री कर रहे हैं।

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