दिल्ली में नौकरी छोड़ बंजर खेतों को आबाद करने गांव लौटे सुधीर
पौड़ी जिले के प्रखंड पोखड़ा के ग्राम डाबरी निवासी सुधीर दिल्ली में नौकरी छोड़ गांव को आबाद करने लौट गए। उन्होंने खेती के नए आयाम स्थापित किए, वहीं बच्चों को भी शिक्षित कर रहे हैं।
कोटद्वार, [अजय खंतवाल]: पैतृक गांव में बंजर पड़े खेतों का दर्द सुधीर कुमार सुंद्रियाल को दिल्ली से वापस गांव खींच लाया और फिर शुरू हुई इन खेतों को आबाद करने की मुहिम। धीरे-धीरे आसपास के गांवों के बंजर खेत भी इस मुहिम का हिस्सा बन गए। आज सुधीर के साथ 16 काश्तकार अपने व आसपास के गांवों को सरसब्ज बनाने में जुटे हुए हैं।
पौड़ी जिले के प्रखंड पोखड़ा स्थित ग्राम डाबरी (चमनाऊं) निवासी सुधीर दिल्ली में अच्छी-खासी पगार पर आराम से परिवार के साथ जीवन बसर कर रहे थे। ढाई वर्ष पूर्व जब वह अपने गांव डाबरी पहुंचे तो वहां बंजर पड़े खेतों ने उनके जीवन की धारा ही बदल दी।
फिर क्या था, दिल्ली से बोरिया-बिस्तर समेटा और इन बंजर खेतों को सरसब्ज बनाने का संकल्प लेकर सितंबर 2014 में गांव लौट आए। सबसे पहले उन्होंने पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से पर्वतीय क्षेत्रों में खेती के तौर-तरीकों की जानकारी हासिल की। दस दिन वहां रहे और फिर सीधे श्रीनगर गढ़वाल स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के हैप्रिक विभाग से संपर्क साधा।
वहां से औषधीय पौधों की जानकारी लेकर गांव लौटे और जुट गए छोटे पॉवर ट्रेलर के जरिये गांव की किस्मत संवारने में। इस मुहिम में गांव के ही सुभाष डबराल ने उनका साथ दिया। दोनों को गांव की बंजर भूमि को हरा-भरा करने की मुहिम में जुटा देख हेमंत नेगी भी साथ आ गए।
इन दो वर्षों में तीनों के प्रयासों से गांव में न केवल 800 फलदार पेड़ लहलहा रहे हैं, बल्कि इलायची के 800 पेड़ भी खुशबू बिखेर रहे हैं। इसके अलावा एलोवेरा व कई औषधीय पौधों के साथ ही साग-सब्जी, अदरक, मटर, उड़द आदि का उत्पादन भी हो रहा है।
काश्तकारों को कर रहे जागरूक
सुधीर गांव के खेतों को आबाद करने के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में भी ऐसे काश्तकारों को जागरूक कर रहे हैं, जो खेती छोड़ चुके हैं। सुधीर बताते हैं, अब तक 16 काश्तकार दोबारा खेती शुरू कर चुके हैं, लेकिन अब उनका फोकस सिर्फ नकदी फसलों पर है।
शिक्षा की भी जला रहे अलख
सुधीर क्षेत्र में शिक्षा की भी अलख जगा रहे हैं। जनवरी 2015 में उन्होंने 'भलु लगदू (फील गुड)' नामक संस्था गठित की, जो क्षेत्र में निराश्रित बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का पूरा खर्च उठा रही है। संस्था चौबट्टाखाल, चमनाऊं, सौंडल, किमगडी, सलाण व चरगाड गांव में हर रविवार को बच्चों की एक्स्ट्रा एक्टिविटी क्लास भी संचालित करती है।
देहदान कर चुके सुधीर
दिल्ली में नौकरी के दौरान ही सुधीर पत्नी समेत दिल्ली के ऑर्बो सेंटर में देहदान कर चुके हैं। उनसे प्रेरणा लेकर अब तक आठ लोगों ने देहदान का निर्णय लिया है।
सुधीर का सुझाव अपनाया
ग्राम गवाणी (पोखड़ा) निवासी जयप्रकाश नवानी के अनुसार पारंपरिक खेती से कोई विशेष फायदा नहीं हो रहा था, तब सुधीर ने अदरक व लाल मिर्च की खेती का सुझाव दिया। इस सुझाव को उन्होंने अपनाया। अब इस फसल को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते।
निराश्रित बच्चों की शिक्षा
ग्राम सिलगाड (पोखड़ा) निवासी सुधा बुड़ाकोटी के अनुसार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ ही सुधीर के मार्गदर्शन में वह दस निराश्रित बच्चों को पढ़ा रही हैं। इससे खुद को सुखद अनुभूति हो रही है।
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