हरियाली को समलौंण का पौध रोप रहे शिक्षक वीरेंद्र, जानिए उनकी इस पहल के बारे में
पिछले 19 वर्षों से राठ क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में जुटे हैं शिक्षक वीरेंद्र दत्त गोदियाल। उनकी इस पहल को लोग काफी सराह रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 05 Jan 2020 08:40 PM (IST)
पौड़ी, गुरुवेंद्र नेगी। शिक्षक वीरेंद्र दत्त गोदियाल पिछले 19 वर्षों से राठ क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में जुटे हैं। उनकी इस पहल से न केवल लोग उनके साथ समलौंण पौधरोपण में जुट रहे हैं, बल्कि कई स्कूलों में बच्चे भी अपने जन्मदिन के मौके पर पौधरोपण करना नहीं भूलते हैं।
विकासखंड थलीसैंण के कोठी गांव निवासी वीरेंद्र दत्त गोदियाल पेशे से शिक्षक हैं। मौजूदा समय में वे राजकीय जूनियर हाईस्कूल पाटुली में सेवारत हैं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनके द्वारा वर्ष 2000 से शुरू की गई मुहिम अब क्षेत्र में पर्यावरण आंदोलन का रूप लेने लगी है। क्षेत्र के कई गांवों में पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में लोग जुटने लगे तो उन्होंने 2010 में समलौंण संस्था बनाई। क्षेत्र के किसी गांव में शुभ कार्य याने शादी बारात हो या फिर बच्चे का नामकरण, चूड़ा कर्म संस्कार वह समलौंण संस्था के माध्यम से पौधरोपण करवाने पहुंच जाते हैं।
शिक्षक वीरेंद्र बताते हैं कि अब तक क्षेत्र के विभिन्न गांवों में वह करीब एक हजार शादियों में समलौंण पौध का रोपण करवा चुके हैं। इसके अलावा करीब तीस विद्यालयों में कई अवसरों पर पौधारोपण किया गया। पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनकी इस पहल का असर घर-गांवों में आयोजित होने वाले शुभ अवसरों पर पौधारोपण के जरिये नजर आने लगा है।
ऐसे मिली प्रेरणा
शिक्षक वीरेद्र गोदियाल बताते हैं कि वर्ष 1983-84 में जब छटवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उनको मैती आंदोलन के संस्थापक और शिक्षक कल्याण सिंह रावत से पौधरोपण की प्रेरणा मिली। वर्ष 2000 में शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिली तो पिता और गुरु से मिली सीख को आगे बढ़ाने की ठानी और समलौंण के नाम से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में जुट गए।
साठ गांवों में गठित की समलौंण सेना राठ क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चला रहे शिक्षक वीरेंद्र गोदियाल बताते हैं कि घर गांव में महिलाएं भी आंदोलन से जुड़े इसके लिए उन्होंने गांवों में जाकर बैठकें भी की। ग्रामीणों को पौधारोपण महत्व बताया। मौजूदा समय में थलीसैंण विकासखंड के करीब साठ से अधिक गांवों में समलौंण सेना गठित की गई हैं। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में तेजी पकड़ेगी जल संरक्षण की मुहिम, पारंपरिक तौर-तरीके उतरेंगे धरातल पर
बच्चों को करते हैं प्रेरित पर्यावरण संरक्षण के प्रति बच्चे बचपन से ही कुछ सीखें, इसके लिए वर्ष 2018 से वीरेंद्र गोदियाल बाल युवा सम्मेलन का भी आयोजन कर रहे हैं। यह आयोजन पहले पैठाणी तथा 2019 में मजरा महादेव में कराया गया। जिसमें बच्चों को पर्यावरण की महत्ता और शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने पर जोर दिया गया। सम्मेलन में क्षेत्र के दर्जनों स्कूलों के बच्चे शामिल होते हैं। इसके अलावा 2016 से राठ महोत्सव का आयोजन करते आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें: खत्म हुआ 19 साल का इंतजार, अस्तित्व में आई उत्तराखंड की जल नीतिविद्यालय में स्थापित की है नर्सरी मुहिम में पौधों की कमी आड़े न आए, इसके लिए वीरेंद्र गोदियाल ने जूनियर हाईस्कूल पाटुली में नर्सरी तैयार की है। मौजूदा समय में इस नर्सरी में विभिन्न प्रजाति के दो सौ से अधिक पौधे हैं। इसके अलावा पंज्याणा में भी नर्सरी तैयार की गई है। वे विभिन्न अवसरों पर 17 हजार से अधिक पौधों का रोपण करवा चुके हैं। अवकाश के दिनों में वे क्षेत्र के गांवों की ओर चल पड़ते हैं। अब तक वे इस मुहिम में करीब दो लाख रुपए स्वयं के व्यय कर चुके हैं।
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