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Uttarakhand के इस पहाड़ी इलाके में सड़क पर एक साथ घूमते दिखाई दिए तीन गुलदार, वीडियो देख दहशत से भर जाएंगे आप

Uttarakhand सायं ढलते ही पौड़ी शहर के कंडोलिया-टेका मोटर मार्ग पर कई बार तीन-तीन गुलदार दिखाई देने से डर बना हुआ है। इससे ग्रामीणों में दहशत है। इसी मार्ग से कल्जीखाल सतपुली सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को पहुंचा जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 19 May 2023 07:51 AM (IST)
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Uttarakhand: ये तीनों गुलदार एक साथ सड़कों पर विचरण करते दिखाई दे रहे हैं।
टीम जागरण, पौड़ी: Uttarakhand: पौड़ी शहर के कंडोलिया-टेका मोटर मार्ग पर हर रोज सुबह और सायं को काफी संख्या में लोग टहलने जाते हैं। लेकिन सायं ढलते ही इस मार्ग पर कई बार तीन-तीन गुलदार दिखाई देने से डर बना हुआ है।

खतरे की बात यह कि ये तीनों गुलदार एक साथ सड़कों पर विचरण करते दिखाई दे रहे हैं। इसी मार्ग से कल्जीखाल, सतपुली सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को पहुंचा जाता है। खुद वन विभाग भी इस मार्ग पर सुरक्षा के दृष्टिगत सायं तक लोगों को टहलने से मना कर रहा है।

दहशत की वजह से खेतों में जाने से कतरा रहे किसान

रुड़की के भगवानपुर थाना क्षेत्र के मानक मजरा गांव में किसान खेतों में जाने से कतरा रहे हैं। यहां पर कई दिन से गुलदार का आतंक बना हुआ है l ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की टीम गांव में आ रही है, लेकिन थोड़ी देर चहल कदमी करने के बाद चली जाती है।

बार-बार वन विभाग की टीम को पिंजरा लगाने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन अभी तक पिंजरा नहीं लगाया गया है। जिसकी वजह से ग्रामीणों में दहशत है और वह खेतों में भी नहीं जा पा रहे हैं। वहीं आम के बाग की रखवाली करने वाले रखवाले भी परेशान हैं।

दरअसल जल्दी आम का सीजन शुरू होने वाला है और मानक मजरा और आसपास के गांव आम की बेल्ट के रूप में जाने जाते हैंं। बड़ी संख्या में रखवाले आम के बागों में डेरा डाले हुए हैं। बताते चलें कि तीन दिन पहले ही गुलदार ने आम के बाग की रखवाली कर रहे तीन लोगों को हमला कर घायल कर दिया था।

अवधि समाप्त, हटेंगे पिंजरे, वापस लौटेगी ट्रेंकुलाइज टीम

वहीं कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ वन प्रभाग की सीमा से सटे रिखणीखाल व नैनीडांडा प्रखंडों के 24 गांव में बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तैनात टीमें जल्द ही वापस लौटेंगे। साथ ही प्रभावित क्षेत्र में लगाए गए दोनों पिंजरों को भी हटा लिया जाएगा। दरअसल, शासन स्तर से बाघ को पकड़ने अथवा ट्रेंकुलाइज करने के लिए 1 माह का समय दिया गया था, जोकि पूर्ण हो चुका है। इस अवधि में वन महकमे ने एक बाघ को ट्रेंकुलाइज कर उसे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ढेला रेस्क्यू सेंटर में भेज दिया था।

बताते चलें कि बीती 13 अप्रैल को ग्राम डल्ला में बाघ ने बुजुर्ग वीरेंद्र सिंह को निवाला बना दिया था। इस घटना के 2 दिन बाद ही बाघ ने ग्राम डल्ला से करीब 35 किलोमीटर दूर नैनीडांडा प्रखंड के अंतर्गत ग्राम भैड़गांव (सिमली) में एक अन्य बुजुर्ग को निवाला बना दिया। इन घटनाओं के बाद जिला प्रशासन के साथ ही कौन महकमा भी हरकत में आ गया। जिलाधिकारी ने जहां एक और बाघ प्रभावित क्षेत्र में तमाम विद्यालय में अवकाश घोषित कर दिया, वही राजस्व विभाग की टीमें गठित कर स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दे दिए गए।

वन महकमे ने पूरे क्षेत्र में सघन गश्त शुरू कर दी। साथ ही बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए टीमों का गठन भी कर दिया। प्रयास रंग लाया और 25 अप्रैल की शाम महकमे ने ग्राम जूई में एक बाघ को ट्रेंकुलाइज कर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ढेला रेंज में भेज दिया गया। इस घटना के बाद से क्षेत्र में बाघ नजर नहीं आया है। हालाकि, ग्रामीणों की ओर से लगातार अलग-अलग स्थानों पर बाघ देखे जाने की बात कही जा रही है। लेकिन, विभागीय ट्रैप कैमरा अथवा ड्रोन में कहीं भी बाघ नजर नहीं आया। जिसके बाद अब वन महकमा क्षेत्र में तैनात ट्रेंकुलाइज टीम के साथ ही क्षेत्र में लगाए गए दोनों पिंजरों को हटाने की तैयारी में है।

प्रभागीय वन अधिकारी स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए शासन स्तर से 1 माह की अवधी दी गई थी। इस अवधि में एक बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया। वर्तमान में क्षेत्र में कहीं बाघ नजर नहीं आ रहा। साथ ही शासन की ओर से जारी अनुमति की सीमा भी समाप्त हो चुकी है। ऐसे में क्षेत्र में लगाए गए दोनों पिजरों के साथ ही तैनात ट्रेंकुलाइज टीम को भी हटाया जाएगा। क्षेत्र में वन कर्मियों की गश्त निरंतर जारी‌ रहेगी।

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