Uttarakhand News : सतपुली में क्षतिग्रस्त झूला पुल से गिरकर बुजुर्ग की मौत, 12 वर्षों से नहीं हुई मरम्मत
Uttarakhand News सतपुली बाजार से जोड़ने वाले झूला पुल से गिरकर एक ग्रामीण सतीश चंद्र की मौत हो गई। दरअसल पिछले 12 वर्षों से यह झूला पुल क्षतिग्रस्त है। शासन-प्रशासन न तो पुल की मरम्मत कर रहा है और न ही नया पुल बनाने की जहमत उठा रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Wed, 02 Nov 2022 10:41 AM (IST)
जागरण संवाददाता, कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल) : मंगलवार को ग्रामसभा बड़खोलू को सतपुली बाजार से जोड़ने वाले बड़खोलू झूला पुल से गिरकर एक ग्रामीण सतीश चंद्र की मौत हो गई।
क्षतिग्रस्त होने के चलते यह पुल आवाजाही के लिए खतरनाक बना हुआ है। ग्रामीण की मौत के लिए सरकारी तंत्र को कटघरे में खड़ा करना पूरी तरह जायज होगा। दरअसल, पिछले 12 वर्षों से यह झूला पुल क्षतिग्रस्त है। शासन-प्रशासन न तो पुल की मरम्मत कर रहा है और न ही नया पुल बनाने की जहमत उठा रहा है।
वर्ष 1987 में ग्रामसभा बड़खोलू सहित तीन अन्य ग्रामसभाओं को सतपुली बाजार से जोड़ने के लिए नयार नदी में झूला पुल का निर्माण किया गया। उस दौर में करीब चार हजार से अधिक की आबादी इसी झूलापुल से सतपुली आती जाती थी। समय बीता और गांव पलायन की भेंट चढ़ते चले गए। वर्तमान में यह झूला पुल करीब दो हजार की आबादी को सतपुली कस्बे से जोड़ता है।
प्रतिदिन इन ग्राम सभाओं से स्कूली बच्चे इस पुल को पार कर सतपुली पहुंचते हैं। ग्रामीण भी रोजमर्रा के सामान की खरीददारी को सतपुली आते हैं। 18 सितंबर 2010 में पूर्वी व पश्चिमी नयार नदी में आई बाढ़ के कारण यह झूलापुल क्षतिग्रस्त हो गया। आज भी ग्रामीण जान जोखिम में डाल इस पुल से आवाजाही कर रहे हैं। लेकिन, आज तक तंत्र ने इस पुल की सुध नहीं ली है।
तीन मुख्यमंत्री कर चुके पुल निर्माण की घोषणा
नयार नदी के इस झूला पुल के क्षतिग्रस्त होने से लेकर अब तक कई बार इसके निर्माण की घोषणा हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने अपने कार्यकाल में इस स्थान पर मोटरपुल सहित बड़खोलू से कांडा तक 12 किमी सड़क का शासनादेश भी जारी किया था, लेकिन इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ व राज्य में कांग्रेस की सरकार आ गई।पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी अपने कार्यकाल में इस पुल की घोषणा दोहराते हुए शीघ्र निर्माण का वादा किया, लेकिन पुल नहीं बन सका। पुन: भाजपा सत्ता में काबिज हुई और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी पुल निर्माण की सार्वजनिक घोषणा कर दी। लेकिन पुल आज भी नहीं बन पाया है।
‘पुल का निर्माण विश्व बैंक की सहायता से किया जाना है। पुल निर्माण को पूर्व में ही धनराशि अवमुक्त हो गई थी। कुछ ग्रामीणों को मुआवजा भी वितरित कर दिया गया। लेकिन, पुल के दूसरे छोर में कुछ ग्रामीणों ने भूमि देने से मना कर दिया, जिस कारण पुल का निर्माण शुरू नहीं हो पाया। उक्त ग्रामीणों से वार्ता कर उन्हें मुआवजा दे दिया गया है। साथ ही विश्व बैंक ने नए सिरे से पुल का प्राक्कलन स्वीकृति के लिए शासन में भेज दिया है। जल्द ही पुल का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।
-राजकुमार पोरी, विधायक, पौड़ी विधानसभा’
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