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उत्तराखंड की बेटी के नेतृत्व में महिला नौसेना अफसरों ने रचा इतिहास

उत्तराखंड की बेटी लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी के नेतृत्व में विश्व सागर परिक्रमा तारिणी अभियान पर निकली महिला नौ सेना के अफसरों ने इतिहास रचा है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 20 Jan 2018 04:00 AM (IST)
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उत्तराखंड की बेटी के नेतृत्व में महिला नौसेना अफसरों ने रचा इतिहास

श्रीनगर गढ़वाल, [जेएनएन]: उत्तराखंड की बेटी लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी के नेतृत्व में विश्व सागर परिक्रमा तारिणी अभियान पर निकली भारतीय नौ सेना की छह महिला अधिकारियों ने अपनी पाल नौका से केप हॉर्न द्वीप को पार कर लिया है। दक्षिणी चिली के इस बर्फीले पहाड़ी द्वीप की परिक्रमा कर आगे निकलना समुद्री यात्रा में सबसे मुश्किल माना जाता है। इस क्षेत्र में अक्सर तूफान और तेज बर्फीली हवाएं चलती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर भारतीय नौ सेना की महिला अधिकारियों की इस सफलता पर शुभकामनाएं दीं। 

नौसेना में लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी के नेतृत्व में छह महिला अधिकारी बीते वर्ष दस सितंबर को विशेष पाल नौका में गोवा से विश्व सागर परिक्रमा अभियान पर निकली थीं। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर स्थित गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीके जोशी की पुत्री हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी श्रीनगर गढ़वाल में ही हुई। लेफ्टिनेंट कमांडर पी.स्वाति, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिमा जायसवाल, लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या, लेफ्टिनेंट एस.विजया देवी व लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता इस अभियान में उनकी सहयोगी हैं। 

वर्तिका के पिता प्रो. जोशी ने बताया कि भारतीय समयानुसार सुबह छह बजे केप हॉर्न द्वीप को पार करते ही वर्तिका ने उन्हें इस सफलता की सूचना दी। उन्होंने भी गढ़वाल विवि और क्षेत्रवासियों की ओर से टीम की सभी महिला अधिकारियों को बधाई दी।

उन्होंने बताया कि केप हॉर्न की परिक्रमा कर आगे बढ़ना समुद्री नौकायन के लिए मील का पत्थर माना जाता है। इस द्वीप को पार करना स्वयं में बहुत बड़ी चुनौती है। 1616 ईस्वी में एक डच नाविक द्वारा खोजे गए इस द्वीप के समुद्र में 16वीं से 20वीं शताब्दी के मध्य तक 800 से अधिक समुद्री जहाज डूब चुके हैं। इनमें दस हजार से अधिक नाविकों की जान गई। 

प्रो. जोशी के अनुसार वर्तिका ने उन्हें बताया कि दल की सभी महिला अधिकारियों का जोश और उमंग बरकरार है। आगामी अप्रैल में यह अभियान पूरा होगा। 

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