Uttarakhand Adi Kailash : PM मोदी के दौरे के बाद आदि कैलाश को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, बढ़ रही पर्यटकों की संख्या
PM Modi In Pithoragarh आदि कैलाश जिसे कैलाश के ही बराबर माना जाता है। कैलाश मानसरोवर के लिए जहां चीन सरकार के वीजा की आवश्यकता होती हैं। वहीं आदि कैलाश के देश में ही होने से मात्र इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है। आदि कैलाश तक सड़क बनने के बाद से ज्योलिंगकोंग तक वाहन से पहुंचा जा रहा है।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ । PM Modi In Pithoragarh: आदि कैलाश तक मार्ग बनने के बाद आदि कैलाश पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के ज्योलिंगकोंग आने के बाद आदि कैलाश को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के रूप में पहचान मिली है। जिस तरह पीएम ने क्षेत्र के विकास के लिए ऊंची सोच रखी है उससे तीर्थाटन, पर्यटन की नई सुविधाएं मिलेंगी। इसके लिए प्रशासन को भी अब गंभीरता से कार्य करना होगा।
आदि कैलाश जिसे कैलाश के ही बराबर माना जाता है। कैलाश मानसरोवर के लिए जहां चीन सरकार के वीजा की आवश्यकता होती हैं। वहीं आदि कैलाश के देश में ही होने से मात्र इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है।
ज्योलिंगकोंग से ही आदि कैलाश पार्वती कुंड के होते हैं दर्शन
आदि कैलाश तक सड़क बनने के बाद से ज्योलिंगकोंग तक वाहन से पहुंचा जा रहा है। ज्योलिंगकोंग से ही आदि कैलाश पार्वती कुंड के दर्शन होते हैं और मंदिर में पूजा होती है। वहीं आदि कैलाश के लिए कई टूर एवं ट्रेवल्स हैं। देश की राजधानी दिल्ली से चल कर दूसरे दिन आदि कैलाश पहुंच रहा है।
पीएम ने आदि कैलाश को दी अंतरराष्ट्रीय पहचान
बीते गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ज्योलिंगकोंग पहुंचने के बाद आदि कैलाश को अंतरराष्ट्रीय पहचान दे दी है। उनके दौरे के बाद इंटरनेट मीडिया पर जिस तरह लोग आदि कैलाश आने के लिए आतुर लग रहे हैं उससे आने वाले दिनों में आदि कैलाश पहुंचने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी।
स्थानीय लोगों की आजीविका में होगा सुधार
पिथौरागढ़ की सभा में स्वयं पीएम ने कहा कि उन्होंने पहचान दे दी है और संभालने का काम है, जिसका सीधा तात्पर्य प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़नी है। पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार होगा। आदि कैलाश सहित पूरे क्षेत्र में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार की है। स्थानीय जनता का भी मानना है कि अब प्रशासन को भी गंभीरता से कार्य करना होगा।
आदि कैलाश के साथ-साथ ऊं पर्वत के भी दर्शन
आदि कैलाश की यात्रा का महत्व इसलिए भी अधिक है कि इस यात्रा के दौरान ऊं पर्वत के भी दर्शन हो जाते हैं। आदि कैलाश और ऊं पर्वत को जाने वाला मार्ग गुंजी तक एक है। गुंजी से दोनों मार्ग अलग-अलग दिशाओं में हैं। दोनों स्थलों की दूरी मात्र 56-57 किमी है। यात्रा एक साथ हो जाती है। आदि कैलाश के लिए ज्योलिंगकोंग तो ऊं पर्वत के लिए नावीढांग जाना पड़ता है। अब दरकार पर्यटन सुविधाओं की है।
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इनरलाइन परमिट के लिए है आनलाइन व्यवस्था
पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी के अनुसार, पर्यटन सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है। इनरलाइन परमिट के लिए आनलाइन व्यवस्था है। प्रशासन पर्यटन की सुविधाओं के विस्तार के लिए कार्य कर रहा है। प्रशासन इसे लेकर गंभीर है।
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