Uttarakhand Lok Sabha Election 2024: जनता तो दूर कार्यकर्ता भी नहीं पहचानते थे, फिर भी हरीश रावत को दी पटखनी; पढ़ें चुनाव का रोचक इतिहास
Uttarakhand Lok Sabha Election 2024 वर्ष 1991 का दौर था। अयोध्या में राममंदिर को लेकर सीमा छोर में भी राम लहर का प्रभाव था। लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने एक प्रवासी जीवन चंद्र शर्मा को पैराशूट प्रत्याशी बना कर मैदान में उतार दिया। तब पिथौरागढ़ में भाजपा के एक नेता दिनेश जोशी ही जीवन शर्मा के बारे में जानते थे।
जासं, पिथौरागढ़ : Uttarakhand Lok Sabha Election 2024: वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव की कभी कबार चर्चा होते ही रहती है। तब के चुनाव के भाजपा प्रत्याशी को लेकर होने वाली चर्चा में जनता के मूड को लेकर कयास लगाए जाते हैं। डा. मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेता को पराजय का स्वाद चखाने वाली जनता ने 1991 में अनजान चेहरे को ऐसी विजय दिलाई कि अजेय माने जाने वाले हरीश रावत को पराजित कर दिया।
पराजय भी ऐसी कि उसके बाद से हरीश रावत के लिए अल्मोड़ा लोकसभा सीट गूलर का फूल बन गई। वर्ष 1991 का दौर था। अयोध्या में राममंदिर को लेकर सीमा छोर में भी राम लहर का प्रभाव था। लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा के बड़े-बड़े नाम थे। गोविंद सिंह बिष्ट, भगत सिंह कोश्यारी, बची सिंह रावत जैसे नामों की चर्चा थी।
भाजपा ने एक प्रवासी जीवन चंद्र शर्मा को पैराशूट प्रत्याशी बना कर मैदान में उतार दिया। मूलरूप से अल्मोड़ा के द्वाराहाट क्षेत्र निवासी जीवन शर्मा को अल्मोड़ा जिले में भले ही कुछ जानते हों, परंतु तब पिथौरागढ़ जिले में कोई नहीं जानता था। भाजपा पदाधिकारी ओर कार्यकर्ता तक जीवन शर्मा के नाम को तक नहीं जानते थे। पिथौरागढ़ में भाजपा का चुनावी कार्यालय केएमओयू स्टेशन के पास स्थित था। इस कार्यालय को भाजपा अपने चुनाव के लिए शुभ मानती थी।
चुनाव के लिए जिले में चुनाव संचालन समिति बन गई थी। कार्यालय में कार्यकर्ता और पदाधिकारी बैठते थे। प्रचार के लिए प्रत्याशी के बारे में कुछ भी नहीं जानने के चलते प्रचार को गति नहीं मिल रही थी। भाजपा के बड़े नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक असमंजस की स्थिति में थे और अंजान नाम को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत से तुलना कर अपनी पराजय तय मानते थे।भाजपा के वरिष्ठ नेता जगजीवन सिंह कन्याल बताते हैं कि भाजपा प्रत्याशी जीवन शर्मा की चुनावी कार्यालय में अगुवाई भी गजब रही। पिथौरागढ़ में भाजपा के एक नेता दिनेश जोशी ही जीवन शर्मा के बारे में जानते थे। कन्याल बताते हैं कि एक दिन भाजपा के बड़े नेता और कार्यकर्ता चुनावी कार्यालय में बैठक कर प्रचार को लेकर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान सभी का यही कहना था कि आखिर एक बार प्रत्याशी को देख कर उनके बारे में जानकारी तो मिले। तब इंटरनेट मीडिया का दौर नहीं था।
अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ तक आवाजाही के लिए मात्र बसें होती थी। अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ पहुंचने मे लगभग छह घंटे का समय लगता था। चर्चा के दौरान भाजपा नेता जीवन शर्मा के साथ चुनावी कार्यालय में पहुंचे। दोनों चर्चा सुनने लगे। जब चर्चा समाप्त हुई तब जाकर भाजपा नेता जोशी ने बताया कि साथ में आए व्यक्ति ही भाजपा प्रत्याशी जीवन शर्मा हैं। भाजपा नेता भौचक्के हो गए।बाद में फिर प्रत्याशी के साथ बैठक हुई और आगे की रणनीति तय की गई। कन्याल बताते हैं कि आज तक प्रत्याशी पूरे क्षेत्र में नहीं जा सकता है तब तो सीमित क्षेत्रों के अलावा कहीं जा पाना असंभव था। प्रचार के लिए जाने पर जनता तो दूर रही पार्टी के कार्यकर्ता तक जीवन शर्मा के बारे में पूछते थे। जब परिणाम आया तो अंजान जीवन शर्मा ने संसदीय क्षेत्र मे हर जुबान पर रहने वाले हरीश रावत को पटखनी दे दी।
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