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Uttarakhand का यह मेला 110 साल पुराना, 10 दिन तक चलती है भारत और नेपाल की सांस्कृतिक बयार; सीएम करेंगे उद्घाटन

Jauljibi Fair उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लगने वाला ऐतिहासिक जौलजीबी मेला 110 साल पुराना है। 10 दिनों तक चलने वाले इस मेले में भारत और नेपाल की सांस्कृतिक बयार बहती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मेले का उद्घाटन करेंगे। मेले में स्थानीय हस्तशिल्प तिब्बती रेशम नेपाली घी दन कालीन पंखी कंबल ऊनी वस्त्र आदि आकर्षण का केंद्र रहते हैं।

By ramesh garkoti Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 13 Nov 2024 05:38 PM (IST)
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Jauljibi Fair : भारत के साथ ही नेपाल में भी मेले को लेकर खासा उत्साह. Jagran
संवाद सहयोगी, जागरण, पिथौरागढ़। Jauljibi Fair : पिथौरागढ़ जिले के ऐतिहासिक व्यापारिक मेले जौलजीबी का गुरुवार को शुभारंभ होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मेले का उद्घाटन करेंगे। भारत के साथ ही नेपाल में भी मेले को लेकर खासा उत्साह है। 10 दिनों तक इस सीमा क्षेत्र में भारत और नेपाल की सांस्कृतिक बयार चलेगी।

अस्कोट रियासत के पाल वंश ने 1914 में काली और गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीबी में मेले की शुरुआत की थी। शुरुआत में यह मेला पूरी तरह व्यापारिक था। 1990 तक मेला चरम पर रहा। कोलकाता तक से व्यापारी कारोबार के लिए यहां पहुंचते थे।

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तिब्बत से आने वाला रेशम जौलजीबी मेले से ही कोलकाता और बनारस तक पहुंचता था। कभी नेपाल में तैयार होने वाले घी के लिए भी यह मेला एक व्यापारिक मंडी की तरह है। धारचूला और मुनस्यारी में तैयार होने वाले दन, कालीन, पंखी, कंबल, ऊनी वस्त्र इस मेले की शान हुआ करते थे।

स्थानीय लोगों को बाहर से आने वाला सामान इस मेले से मिल जाता था। 1991 में दुनिया का बाजार खुलने के बाद चीनी माल की धमक इस मेले में बढ़ी और स्थानीय हस्तशिल्प का बाजार सिकुड़ गया। पिछले कुछ वर्षों से अब चीनी माल की आवक कम हो गयी है। इससे स्थानीय हस्तशिल्प को एक बार फिर बढ़ावा मिल रहा है।

विरासत को सजोए हैं स्थानीय लोग

पिथौरागढ़: जौलजीबी मेले का स्वरूप बनाए रखने में स्थानीय लोगों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। जौलजीबी के साथ ही धारचूला, तल्लाबगड़, गोरीछाल, मुनस्यारी, गर्खा क्षेत्र के लोग इस मेले से गहरे जुड़े हुए हैं। आज भले ही तमाम उपभोक्ता सामान घर पर ही उपलब्ध हो जाता हो, लेकिन इन क्षेत्रों के लोग मेले में पहुंचकर कुछ न कुछ खरीदारी अवश्य करते हैं, जिससे मेले का क्रेज बना हुआ है।

नेपाल का भी हमेशा रहा है जुड़ाव

पिथौरागढ़: जिले से लगने वाले नेपाल के दार्चुला और बैतड़ी जिले के लोग भी पिछले 110 वर्षों से इस मेले से जुड़े रहे हैं। नेपाल के लोग अपने स्थानीय उत्पाद मेले में लाते हैं और मेले से अपना रोजमर्रा का सामान खरीदकर ले जाते रहे हैं।

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मेले के तमाम सांस्कृतिक दल जौलजीबी मेले में अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देते हैं। भारत के साथ ही नेपाल में भी मेले का आयोजन होता है। इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच काली नदी सीमा रेखा बनाती है। देशों को जोड़ने के लिए काली नदी पर झूला पुल बना हुआ है।

मुख्यमंत्री करेंगे मेले का उद्घाटन

पिथौरागढ़: प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को जौलजीबी मेले का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री सुबह 10.05 बजे जौलजीबी के निकट जोग्युड़ा हेलीपेड में उतरेंगे, जहां से वे कार से जौलजीबी मेला स्थल पहुंचेंगे। मेले का उद्घाटन करने के बाद वे 11.50 बजे हेलीकाप्टर से गौचर के लिए प्रस्थान करेंगे। मुख्यमंत्री के जौलजीबी में जिले के विकास के लिए नई घोषणाएं किए जाने की उम्मीद है।

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