Adi Kailash: मां पार्वती संग भगवान शिव ने यहां किया था प्रवास; माना जाता है रुंग समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल
Adi Kailash 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने तीन पवित्र एवं महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों पर पूजा-अर्चना की। बीते गुरुवार को सुबह के समय वह ज्योलिंगकोंग हैलीपैड पर उतरे। पीएम मोदी ने स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए वस्त्र रं व्यंठलो और पगड़ी पहनी। ज्योलिंगकोंग से पार्वती कुंड को रवाना हुए।लगभग 200 मीटर पैदल मार्ग पर बिछी रेड कार्पेट से पीएम मोदी पार्वती कुंड पहुंचे।
डिजिटल डेस्क, पिथौरागढ़। Adi Kailash: 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने तीन पवित्र एवं महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों पर पूजा-अर्चना की। बीते गुरुवार को सुबह के समय वह ज्योलिंगकोंग हैलीपैड पर उतरे। पीएम मोदी ने स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए वस्त्र रं व्यंठलो और पगड़ी पहनी। ज्योलिंगकोंग से पार्वती कुंड को रवाना हुए।
लगभग 200 मीटर पैदल मार्ग पर बिछी रेड कार्पेट से पीएम मोदी पार्वती कुंड पहुंचे। जहां पर उन्होंने मंदिर में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना, आरती, शंख और डमरू बजाया। पुजारी द्वारा पूजा कराई गई। बाद में पार्वती कुंड पर ध्यान लगाया और करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश की परिक्रमा की।
आदि कैलाश है रुंग समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल
आदि कैलाश का उल्लेख सकंद पुराण में मिलता है और यह धर्म घाटी और आसपास के इलाकों में रहने वाले रुंग समुदाय के सदस्यों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। इसे रुंग समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। रुंग परंपरा के अनुसार, आदि कैलाश शिव का मूल निवास था। लोक कथाओं में मुताबिक, संतों और अन्य लोगों के बार-बार आने से उनकी 'तपस्या' में खलल पड़ने के कारण शिव ने वह स्थान छोड़ दिया। बाद में संतों ने कैलाश पर्वत पर शिव की खोज की।
इसलिए महत्वपूर्ण है आदि कैलाश
आदि कैलाश को कैलाश की ही संज्ञा मिली है। पौणाणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर जब मां पार्वती को ब्याह कर कैलाश जा रहे थे तो इस स्थान पर प्रवास किया। भगवान शंकर और माता पार्वती लंबे समय तक यहां पर रहे। पार्वती सरोवर बनाया। यहां पर मां पार्वती ने धान का रोपण किया था।
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पवित्र माना जाता है रं व्यंएठलो
रं व्यंएठलो र परम्परा में पवित्र वस्त्र माना जाता है। पुरुष प्रत्येक शुभ कार्यो और धार्मिक आयोजनों पर इसे पहनते है। प्रधानमंत्री के लिए उपहार के लिए व्यास घाटी के ग्रामीणों ने इसे तैयार किया था। स्थानीय परम्परा में पगड़ी पहनाने की प्रथा है।
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