उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के अंतर्गत नैनीताल को झीलों की नगरी के रूप में जाना जाता है। जहां नैनी झील भीमताल नौकुचियाताल सातताल हरीशताल सड़ियाताल खुर्पाताल आदि कई झीलें हैं। इनमें भीमताल कुमाऊं की सबसे लंबी झील है। इस त्रिभुजाकार झील की लंबाई करीब 1674 मीटर है लेकिन अब सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में इससे भी बड़ी झील निर्माण की योजना बनाई जा रही है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़। सीमांत जनपद के मध्य में स्थित देवलथल क्षेत्र के मेलापानी में कुमाऊं की सबसे बड़ी झील बनेगी। इस कृत्रिम झील की लंबाई करीब दो किलोमीटर होगी। सिंचाई विभाग इस झील को विकसित करेगा। विभाग की ओर से झील का सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है। इस झील के अस्तित्व में आने के बाद सीमांत को नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन की सौगात मिलेगी।
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के अंतर्गत नैनीताल को झीलों की नगरी के रूप में जाना जाता है। जहां नैनी झील, भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल, हरीशताल, सड़ियाताल, खुर्पाताल आदि कई झीलें हैं। इनमें भीमताल कुमाऊं की सबसे लंबी झील है। इस त्रिभुजाकार झील की लंबाई करीब 1674 मीटर है, लेकिन अब सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में इससे भी बड़ी झील निर्माण की योजना बनाई जा रही है।
देवलथल क्षेत्र के मेलापानी में करीब दो किमी लंबी कृत्रिम झील बनेगी। यह लंबाई के हिसाब से कुमाऊं के साथ-साथ जिले की भी सबसे बड़ी कृत्रिम झील होगी। इस झील का सर्वे कार्य हो चुका है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद इसकी डीपीआर बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा।
मुनस्यारी मार्ग पर पड़ने वाली यह जगह पिथौरागढ़ शहर से 22 किमी दूरी पर है। 45 मिनट में पिथौरागढ़ से मेलापानी पहुंचा जा सकता है। इस झील के बनने से कनालीछीना, विण और मूनाकोट विकासखंड के कई गांवों को इसका लाभ मिलेगा। वहीं, सीमांत में नया डेस्टिनेशन बनकर सामने आएगा।
मड़ सिलौली में भी बनेगी झील
सीमांत जनपद में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए झीलों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। सिंचाई विभाग द्वारा जिला मुख्यालय के नजदीकी मड़ सिलौली क्षेत्र में भी कृत्रिम झील निर्माण की योजना बनाई जा रही है। विभागीय टीम ने झील निर्माण प्रस्तावित क्षेत्र का निरीक्षण भी कर लिया है। अब आइआइटी रुड़की की टीम प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद डीपीआर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
रई झील का सपना रहा अधूरा
जनपद के अन्य विभिन्न स्थानों पर तो झीलों के निर्माण के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन नगर में बहुप्रतिक्षित रई झील निर्माण का सपना अभी तक पूरा नहीं हो सका है। वर्ष 1990 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने रई में झील निर्माण की घोषणा की थी। नौ नवंबर 2000 को पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भाजपा व कांग्रेस की सरकार ने कई बार सीमांत के लोगों को रई झील बनाने का सपना दिखाया गया, लेकिन 24 वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक रई झील अस्तित्व में नहीं आ सकी है।
अभी तक थरकोट झील है जनपद की सबसे बड़ी कृत्रिम झील
जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी दूर टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे करीब 32 करोड़ की लागत से कृत्रिम झील बनाई गई है। 750 किमी लंबी व 74 मीटर चौड़ी यह झील अभी तक जनपद की सबसे बड़ी झील है। बीते वर्ष अक्टूबर माह में पिथौरागढ़ दौरे पर आए पीएम नरेंद्र मोदी ने इस झील का लोकार्पण किया था। बीते एक मार्च को इस झील में नौकायन भी शुरू हो चुकी है। पर्यटकों को अब जिला मुख्यालय के नजदीक ही एक बेहतरीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन की सुविधा मिल रही है।
सिंचाई विभाग अपर सहायक अभियंता ललित उप्रेती के अनुसार, मेलापानी में जलाशय के लिए झील प्रस्तावित है। विभागीय टीम द्वारा करीब दो किमी झील का सर्वे कार्य किया गया है। झील स्थल पर स्लोब भी मौजूद हैं। इसकी टेस्टिंग के लिए शासन को फाइल भेजी गई है।
यह भी पढ़ें-
Pithoragarh: अब पिथौरागढ़ की इस झील में लोग ले सकेंगे नौकायन का आनंद, पीएम मोदी ने किया था लोकार्पण
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।