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Chaitra Navratri 2024: संतान सुख प्रदान करती हैं झूला झूलने वाली हिंगला देवी, पाकिस्‍तान में स्थित मंदिर से संबंध

Chaitra Navratri 2024 बाज बुराश व काफल के घने जंगल के बीच स्थित हिंगला देवी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मां भगवती झूला झूलती हैं। झूले को हिंगोल कहा जाता है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के तट पर मां हिंगलाज का मंदिर है। कहा जाता है कि पाकिस्तान के बाद उत्तराखंड के चंपावत में मां हिंगला का दूसरा मंदिर है।

By ganesh pandey Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 10 Apr 2024 11:35 AM (IST)
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Chaitra Navratri 2024: मां हिंगला देवी का मंदिर उप शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध
जासं, चंपावत: नगर के ऊंचे शिखर पर स्थित मां हिंगला देवी का मंदिर उप शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। जिला मुख्यालय से आठ किमी दूर तक वाहन से जाने के बाद 200 मीटर तक सीढ़ी चढ़कर मंदिर तक जाया जा सकता है।

बाज, बुराश व काफल के घने जंगल के बीच स्थित हिंगला देवी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मां भगवती झूला झूलती हैं। झूले को हिंगोल कहा जाता है। हिंगोल के नाम पर मंदिर का नाम हिंगला देवी पड़ा। ऊंचाई पर होने के कारण मंदिर से चंपावत नगर का मनोरम दृश्य दिखता है। चैत्र नवरात्र में विशेष आयोजन होते हैं।

लोक मान्यता

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के तट पर मां हिंगलाज का मंदिर है। कहा जाता है कि पाकिस्तान के बाद उत्तराखंड के चंपावत में मां हिंगला का दूसरा मंदिर है। हिंगला देवी के दरबार में पशु बलि निषिद्ध है। मंदिर के संबंध में मान्यता है कि निसंतान दंपती की मनोकामना को मां हिंगला पूरा करती हैं। एक मान्यता के अनुसार यहां खजाना छिपा बताया जाता है। खजाने की चाबी मां हिंगला देवी के पास है।

ऐतिहासिक महत्व

मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में चंद राजाओं ने कराया। मंदिर के पुजारी चंद राजाओं के साथ ही यहां आए। चंद वंशीय राजाओं के कुल पुरोहित पवेत गांव के पांडेय आज भी इस मंदिर के पुजारी हैं। हिंगला देवी मंदिर परिसर में अक्सर हिरन दिखाई देते हैं। कई बार इन्हें मंदिर के भीतर भी देखा जाता है। मंदिर परिसर में काली व भैरव मंदिर भी है।

मां हिंगला देवी मंदिर उप शक्तिपीठ है। भक्तों की आस्था का केंद्र है। मां अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है। खासकर निसंतान दंपती को संतान सुख प्राप्त होता है। चैत्र नवरात्र में नौ दिनों तक विशेष आयोजन होते हैं। -हरीश पांडेय, पुजारी, हिंगला देवी मंदिर

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