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Chaitra Navratri 2024: चमत्कारी देवी है गणकोटी की चोटी पर विराजमान मां कौशल्या, मात्र ऐसा करने से पूरी हो जाती है मनोकामना

Chaitra Navratri 2024 इस मंदिर के कौशल्या मंदिर नाम को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कौशल्या देवी को चमत्कारी देवी माना जाता है। मंदिर में साल भर विभिन्न पर्वों पर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। इस मंदिर की विशेषता के चलते यहां भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस मंदिर में पशु बलि निषेध है। मंदिर में एक दिव्य गुफा है। जिसमें कौशल्या देवी मां भगवती के रूप में विराजमान है।

By vijay Upreti Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 12 Apr 2024 11:54 AM (IST)
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Chaitra Navratri 2024: कौशल्या देवी को चमत्कारी देवी माना जाता है।
संस, जागरण, पिथौरागढ़ : Chaitra Navratri 2024: नगर के पश्चिमी छोर पर हुड़ेती और गणकोट की चोटी पर मां कौशल्या देवी का मंदिर है। इस मंदिर के कौशल्या मंदिर नाम को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कौशल्या देवी को चमत्कारी देवी माना जाता है।

यूं तो कौशल्या देवी हुड़ेती के उप्रेती उपजाति के लोगों की कुलदेवी मानी जाती है। हुड़ेती के अलावा कुजौली, पपदेव, पुनेड़ी समेत सात गांवों ने भी कौशल्या देवी को अपना कुल देवी और इसी के नाम से गोत्र अपना लिया। मंदिर में साल भर विभिन्न पर्वों पर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। इस मंदिर की विशेषता के चलते यहां भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस मंदिर में पशु बलि निषेध है।

इतिहास

मंदिर के विषय में कहा जाता है कि अयोध्या के कौशल्य ऋषि जो राजा भी थे। वह मन की शांति के लिए हिमालय आए थे। लंबी यात्रा के बाद सोर पहुंचे। जहां पर गुफा में शरण ली। रात्रिकाल में स्वप्न में देवी ने अपने को भी गुफा में होने का आभास कराया।

दूसरी सुबह कौशल्य ने जब गुफा के अंदर की तरफ देखा तो एक पत्थर में मां की आकृति दिखाई दी। इस स्थान पर उन्होंने पूजा-अर्चना शुरू कर दी। मान्यता है कि भगवान राम की माता कौशल्या कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान इस गुफा में ठहरी थीं। भगवान राम और पांडवों ने भी यहां प्रवास किया था।

वास्तुकला

मंदिर आम पर्वतीय शैली का है। जिसमें कोई विशेष वास्तुकला नजर नहीं आती है। मंदिर में करीब 30 मीटर लंबी एक दिव्य गुफा है। जिसमें कौशल्या देवी मां भगवती के रूप में विराजमान है। मंदिर की स्थापना के समय बने मंदिर को ही बाद की पीढ़ियों ने स्थानीय वास्तु के अनुसार बनाया है।

ऐसे पहुंचे मंदिर

कौशल्या मंदिर तक टनकपुर और हल्द्वानी से बस, टैक्सी आदि से पिथौरागढ़ पहुंचा जाता है। पिथौरागढ़ नगर में भी जीआइसी-सुकोली मार्ग पर तीन किमी वाहन से चलकर करीब 400 मीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मंदिर में पहुंचा जाता है। मंदिर में पहुंचने के लिए दो प्रवेश द्वार बनाए गए हैं।

मां के दरबार में तीन दिन पहले से ही प्याज, लहसुन आदि खाकर आना मना है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां प्रतिदिन पूजा होती है। नवमी को विशेष पूजा-अर्चना के साथ भंडारे का प्रचलन रहा है। मां के दरबार में सच्चे मन से धूप, दीप जलाने मात्र से ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है। - पं. प्रदीप उप्रेती, पुजारी

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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