च्यूरा वृक्ष में है पहाड़ की बेरोजगारी को दूर करने की क्षमता
पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाला च्यूरा का वृक्ष लोगों के आजिविका का साधन बन सकता है।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:09 AM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : हिमालय अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। नदी घाटी से पहाड़ों की चोटियों तक अलग-अलग वनस्पतियां मिलती हैं। इन वनस्पतियों को पूर्वजों ने सहेज कर रखा और इनसे अपनी आजीविका भी चलाई। कई वनस्पति आज भी स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका का सशक्त माध्यम बनी हैं। जिसमें च्यूरा सबसे महत्वपूर्ण है। काली नदी और सरयू नदी घाटी में मिलने वाला च्यूरा केा स्थानीय कल्पतरु मानते हैं। इस विशेष वृक्ष को लेकर शोध तो खूब होते हैं परंतु प्रकृति प्रदत्त पूर्वजों द्वारा सहेज कर रखे गए इस वनस्पति के संरक्षण और इसके रोपण की गति अति मध्यम है। च्यूरा को यदि आजीविका से जोड़ने के उपक्रम चले तो वनस्पति तेल के अलावा घी, शहद, साबुन, गुड़ सहित कई उद्यम चलाए जा सकते हैं।
च्यूरा का वनस्पतिक नाम डिप्लोनेमा ब्यूटी गेसिया है। अंग्रजी में इसे बटर ट्री के नाम से जाना है। इस विशाल वृक्ष की गहरी जड़ों ने सदियों से भूमि का जकड़ा है। नदी घाटी के जिन क्षेत्रों में च्यूरा के वृक्ष हैं उन नदी घाटियों में भूस्खलन नहीं के बराबर है। समुद्रतल से लगभग तीन हजार फीट तक की काली और सरयू नदी घाटी में पाया जाने वाला च्यूरा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। च्यूरा एक ऐसा वृक्ष है जिसकी जड़ से लेकर पत्ते तक मनुष्य के काम आते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि च्यूरा वृक्ष तो एक है, परंतु इसके लाभ अनेक हैं। यदि नदी घाटियों में इसका रोपण किया जाए तो नदी घाटियों को भू कटाव से रोका जा सकता है। ========== आस्था का वृक्ष है च्यूरा च्यूरा वृक्ष आस्था का प्रमुख केंद्र है। इसकी पत्ति्तयों की माला शुभ कार्यों में मकानों के बाहर माला के रू प में लगाई जाती हैं। इन पत्तियों को लगाने का कारण किसी तरह की अशुभ छाया नहीं पड़ना बताया जाता है। ======= च्यूरा के फायदे - भू कटाव पूरी तरह रोक देता है - च्यूरा की पत्तियां जानवरों के लिए पौष्टिक आहार है
- च्यूरा के फल बेहद रसीले और मीठे होते हैं - च्यूरा के फलों से गुड़, घी बनता है।
- च्यूरा के फलों से वनस्पतिक तेल बनता है - बसा अधिक होने से च्यूरा के फलों के गूदे से साबुन बनता है - च्यूरा के पुष्पों से विशेष सुगंधित धूप और अगरबत्ती बनती है - च्यूरा से दीये तक बनते हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं - च्यूरा के पुष्प पर सबसे अधिक पराग होने से मधुमक्खी इसके पास रहती हैं - च्यूरा बहुल क्षेत्र में शहद का उत्पादन सबसे अधिक होता है - च्यूरा के फलों से स्वादिष्ट पराठे बनते हैं। - च्यूरा की खली दुधारू जानवरों के दूध में वृद्धि कारती है - खली जलाने पर मच्छर इसके पास तक नहीं आते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।