उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में खूबसूरत पहाड़ी पर बसा है बारिश के देवता मोस्टा का मंदिर, जानिए क्या है विशेषताएं...
उत्तराखंड में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध जिले पिथौरागढ़ में एक मंदिर स्थित है। देशभर के पर्यटक जब मुनस्यारी हिल स्टेशन की ओर रूख करते हैं तो पिथौरागढ़ जाना खुद ब खुद हो जाता है। इसी जिले में एक ऐसा मंदिर है जो आपको ट्रैकिंग के साथ ही वर्षा के देवता कहे जाने वाले मोस्टा देवता के दर्शन व उनकी मान्यता से रूबरू कराएगा।
By Riya.PandeyEdited By: Riya.PandeyUpdated: Fri, 30 Jun 2023 01:43 AM (IST)
जागरण ऑनलाइन डेस्क: हिमालयी राज्य उत्तराखंड अपने पहाड़ों, मंदिरों और धार्मिक मान्यताओं के साथ पर्यटन के लिए जाना जाता है। वहीं राज्य में पहाड़ियों पर स्थित मंदिर एक तरफ भक्तों को उनके आराध्य भगवान से जोड़ते हैं तो दूसरी ओर पर्यटन के लिए बेहतरीन माहौल प्रदान करते हैं।
इन दिनों ऋषिकेश, मंसूरी, नैनीताल जैसे स्थानों पर भीड़ की खबरें आम हो गईं है। इसी तरह उत्तराखंड में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध जिले पिथौरागढ़ में एक और मंदिर स्थित है। देशभर के पर्यटक जब मुनस्यारी हिल स्टेशन की ओर रूख करते हैं तो पिथौरागढ़ जाना खुद ब खुद हो जाता है। इसी जिले में एक ऐसा मंदिर है जो आपको ट्रैकिंग के साथ ही वर्षा के देवता कहे जाने वाले 'मोस्टा देवता' के दर्शन व उनकी मान्यता से रूबरू कराएगा।
कहां स्थित है मोस्टमानु मंदिर
‘मोस्टमानु मंदिर’ पिथौरागढ़ मुख्य शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम की तरफ समुद्रतल से 6000 फुट की ऊंचाई पर एक चंडाक नामक पहाड़ी पर स्थित है। मोस्टा देवता को सोर घाटी (पिथौरागढ़ का पुराना नाम) का सबसे शक्तिशाली देवता माना जाता है। यहां पहुंचने के लिए आप पिथौरागढ़ से निकटतम रेलवे जो कि 138 किलोमीटर की दूरी पर “टनकपुर” से टैक्सी या बस द्वारा पहुंच सकते हैं।लंबे ट्रैक के साथ जुड़ी है आस्था की कहानी
करीब 2 से 3 किलोमीटर देवदार के वृक्षों से भरा ये ट्रैक बेहद मनमोहक है। इस ट्रैक पर आपको हर तरफ पर्वत शिखर, चौड़ी-चौड़ी घाटियां देखने को मिलेंगी। साथ ही इस मंदिर के साथ एक रोचक लोककथा जुड़ी हुई है।
मान्यता है कि 'मोस्टा देवता' को वर्षा के देवता इंद्र का पुत्र माना जाता है। साथ ही मोस्टा देवता की मां कालिका हैं जो भूलोक पर मोस्टा देवता के साथ निवास करती हैं। यह भी कहा जाता है कि देवराज इंद्र ने भूलोक पर भोग प्राप्त करने के लिए मोस्टा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है इसलिए यहां के लोग इन्हें बर्षा का देवता मानते हैं। साथ ही दंत कथाओं में कहा गया है कि मोस्टा देवता के साथ इस मंदिर में चौंसठ योगिनी, बावन वीर, आठ सहस्त्र मशान निवास करते हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अपने ट्विटर हैंडल से इस पवित्र स्थल का वीडियो शेयर कर भक्तों को किया आमंत्रित...
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में स्थित मोस्टमानु मंदिर लोकदेवता मोस्टा को समर्पित है। यहां पर प्रतिवर्ष भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पधारते हैं।प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित एवं आस्था के प्रतीक इस पवित्र स्थल पर अवश्य पधारें। pic.twitter.com/R8KTJKnWb1
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) June 29, 2023