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Indo-Nepal Border : भारत-नेपाल पारंपरिक मित्र, लेकिन रोटी-बेटी वाले संबंधों में दरार डाल रहे शरारती तत्व

Indo-Nepal Border सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले दोनों देशों के नागरिकों के बीच एक अच्छे पड़ोसी वाले और रोटी-बेटी के संबंध हैं। इस अटूट बंधन में दरार डालने के लिए नेपाल का विप्लव माओवदी गुट खलनायक की भूमिका निभा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Wed, 21 Dec 2022 08:08 AM (IST)
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Indo-Nepal Border : रोटी-बेटी वाले संबंधों में दरार डाल रहे शरारती तत्व
संवाद सूत्र, धारचूला (पिथौरागढ़) : Indo-Nepal Border : भारत-नेपाल पारंपरिक मित्र हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले दोनों देशों के नागरिकों के बीच एक अच्छे पड़ोसी वाले और रोटी-बेटी के संबंध हैं।

सुख-दुख में एक दूसरे की मदद को दोनों पड़ोसी कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग भी देते हैं। इस अटूट बंधन में दरार डालने के लिए नेपाल का विप्लव माओवदी गुट राजनीति का सहारा लेकर खलनायक की भूमिका निभा रहा है।

भारत के धारचूला के लोगों ने विरोध नहीं किया

भारत-नेपाल के मध्य बहने वाली काली नदी दोनों देशों को कटाव से नुकसान पहुंचाती है। 2013 में आई आपदा के बाद नेपाल के दार्चुला नगर को बचाने के लिए मजबूत सुरक्षा की रणनीति तय की गई और मजबूत तटबंधों का निर्माण किया गया। तब भारत के धारचूला के लोगों ने इसका विरोध नहीं किया।

भारत के किसी भी राजनीतिक दल ने भी इसके विरोध में एक भी शब्द नहीं कहा। अब भारत में तटबंध निर्माण की कार्य नौ साल बाद हो रहा है। जिसे लेकर नेपाल का विप्लव माओवादी गुट इसके बहाने दार्चुला जिले में अपनी खो चुकी जमीन की जड़ तलाशने का कार्य कर रहा है।

दूसरी तरफ नेपाल में भारी मात्रा में मलबा जमा

वर्तमान में काली नदी किनारे भारत में 985 मीटर लंबा तटबंध निर्माण हो रहा है। 76 करोड़ की लागत से तटबंध निर्माण घटधार से स्टेडियम के पास तक होना है। घटधार के सामने काली नदी के दूसरी तरफ नेपाल में भारी मात्रा में मलबा जमा है।

इस साल मानसून काल में अगस्त के बाद काली नदी के कहर से हुई तबाही के दौरान यहां पर नेपाल की सुरक्षा दीवार बह गई और भारी मलबा जमा हो गया। इससे काली नदी का बहाव पूरी तरह से भारत की तरफ बना हुआ है।

यह भी पढ़ें : नेपाल की ओर से भारत में फिर हुआ पथराव, धारचूला में काली नदी पर तटबंध निर्माण कर रहे मजदूरों में अफरातफरी

यही बहाव भारत में तटबंध निर्माण में बाधक बन रहा है। जिसे लेकर नेपाल से इस मलबे को हटाए जाने का अनुरोध किया जाता है। इसी माह भारत-नेपाल सीमा समन्वय बैठक में भी दोनों तरफ से मलबा हटाए जाने को लेकर सहमति भी बनी है।

नेपाल की ओर से आठ बार हो चुका पथराव

सोमवार को भारत विरोध के नाम पर जुलूस निकाला गया और जुलूस में शामिल कुछ लोग भारत के कार्यस्थल पर पथराव करने लगे। इस प्रदर्शन में दार्चुला की अपेक्षा नेपाल के अन्य जिलों से आए युवा अधिक शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि सूचना के बाद नेपाल पुलिस ने ही शरारती तत्वों को खदेड़ा भी। इस तरह का पथराव यहां आठ बार हो चुका है।

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