International Boxer Nikita Chand: गरीबी नहीं आने दी आड़े, अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में जड़े गोल्डन पंच
International Boxer Nikita Chand अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज निकिता चंद ने गरीबी को मात देकर कई स्वर्ण पदक जीते हैं। 18 वर्षीय निकिता को गोल्डन गर्ल के नाम से जाना जाता है। गरीबी में पली निकिता छोटी सी उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चार स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी और उनके आगामी लक्ष्यों के बारे में।
विजय उप्रेती, जागरण, पिथौरागढ़ । International Boxer Nikita Chand: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। जरूरत है प्रतिभाओं को मौका देने की। यह बात सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की बेटी निकिता चंद पर सटीक साबित होती है। गरीबी में पली निकिता छोटी सी उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चार स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं।
18 वर्षीय निकिता को गोल्डन गर्ल के नाम से जाना जाता है।
विकासखंड मूनाकोट के बड़ालू गांव निवासी निकिता की पारिवारिक स्थिति बेहद दयनीय है। पिता सुरेश चंद व माता दीपा चंद गृहणी हैं। दूध बेचकर परिवार का गुजारा चलता है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण निकिता मात्र नौ साल की उम्र में अपने फूफा के साथ रहने लगीं और यहीं से उनकी कामयाबी का सफर शुरू हुआ।
निकिता के फूफा बिजेंद्र मल्ल 1987 में बाक्सिंग में नेशनल चैंपियन रह चुके हैं। वह अपने घर पर ही युवाओं को बाक्सिंग का प्रशिक्षण देते हैं। निकिता ने फूफा को मुक्केबाजों के साथ पंच मारते देखा तो उनके अंदर भी बाक्सिंग का शौक जागा और तभी से उन्होंने बाक्सिंग को अपना लक्ष्य बना लिया।
फूफा 1987 में रह चुके हैं बाक्सिंग में नेशनल चैंपियन
बहन व भाई भी सीख रहे फूफा से बाक्सिंग के गुर
कोच बिजेंद्र ने बताया कि सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, मगर पारिवारिक आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण ये प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं, इसलिए ऐसी प्रतिभाओं को तराशना जरूरी है।