Jauljibi Mela 2022 : जौलजीबी मेले में इस बार नजर नहीं आएगा तिब्बती उत्पाद
Jauljibi Mela 2022 कैलास मानसरोवर यात्रा के प्रवेश द्वार पर काली और गोरी नदी के संगम स्थल पर विगत 115 वर्षों से चला आ रहा उत्त्तर भारत के प्रमुख व्यापारिक मेलों में शामिल जौलजीबी मेले में इस बार तिब्बत चीन के उत्पाद नजर नहीं आएंगे।
By omprakash awasthiEdited By: Skand ShuklaUpdated: Mon, 07 Nov 2022 01:18 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : Jauljibi Mela 2022 : अतीत में तीन देशों भारत, नेपाल और तिब्बत की संस्कृति के प्रतीक जौलजीबी मेले में इस बार तिब्बती उत्पाद नजर नहीं आएगा। मेले में भारत और नेपाल की ही वस्तुएं उपलब्ध होंगी।
कैलास मानसरोवर यात्रा के प्रवेश द्वार पर काली और गोरी नदी के संगम स्थल पर विगत 115 वर्षों से चला आ रहा उत्त्तर भारत के प्रमुख व्यापारिक मेलों में शामिल जौलजीबी मेले में इस बार तिब्बत चीन के उत्पाद नजर नहीं आएंगे। अस्कोट पाल वंश के राजाओं द्वारा एक सदी पूर्व सीमांत में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जौलजीबी में मेला प्रारंभ किया।
इस मेले में जहां नेपाल और तिब्बत पारंपरिक साथी रहे वहीं पाल राजाओं ने कोलकाता, मेरठ, बरेली, मुरादाबार, आगरा, मथुरा, काशीपुर , रामनगर से व्यापारी बुलाए। लगभग एक माह तक लगने वाले इस मेले में भारतीय भू भाग में भारतीय और तिब्बती व्यापारियों की दुकानें सजती थी वहीं काली नदी के दूसरी तरफ नेपाल की दुकानें होती थी। तब इस मेले में कस्तूरी तक बिकती थी। यह मेला उत्त्तर भारत के प्रमुख व्यापारिक मेले में शामिल हो गया। लगभग एक माह तक मेला चलता था।
वर्ष 1962 मेंं तिब्बत के चीन के आधिपत्य में जाने से तिब्बत मेले से दूर हो गया। मेला भारत और नेपाल में लगने लगा परंतु मेले की धमक बरकरार रही । वर्ष 1992 में भारत चीन व्यापार प्रारंभ हुआ और तिब्बत का सामान फिर से मेले की रौनक बढ़ाने लगा।
वर्ष 2020 में कोरोना के चलते भारत चीन व्यापार बंद रहा और तीसरे वर्ष 2022 में भी भारत चीन व्यापार शु रू नहीं हो सका । 2020 में मेले का आयोजन नहीं हुआ , 2021 में मेला तो हुआ परंतु फीका रहा। इस वर्ष कोराना का खौफ तो नहीं है परंतु चीन व्यापार नहीं होने से तिब्बती उत्पाद मेले से गायब रहेगा । जिसका असर मेले पर पड़ेगा।
भारत चीन सीमांत व्यापार समिति के अध्यक्ष जीवन सिंह रौंकली का कहना है कि तीन सालों से भारत चीन व्यापार नहीं हुआ है। व्यापार में भाग लेने वाले व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत चीन व्यापार 31 अक्टूबर तक होता था। व्यापारी तिब्बत चीन से आयातित सामान लेकर सबसे पहले जौलजीबी मेले में पहुंचते थे। मेलार्थियों को भी इस सामान की प्रतीक्षा रहती थी। इस बार भी मेले में तिब्बती उत्पाद नजर नहीं आएगा।
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