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जौलजीबी मेला : 14 नवंबर से काली गोरी के संगम पर दो देशों की सांस्कृतिक धाराओं का होगा मिलन

Jauljibi Mela 2022 भारत और नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक जौलजीबी मेला 14 नवंबर से शुरू होगा। 10 दिन तक चलने वाला यह मेला भारत के साथ-साथ नेपाल में भी आयोजित होगा। भारत में मेले के आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।

By ramesh garkotiEdited By: Skand ShuklaUpdated: Thu, 03 Nov 2022 01:05 PM (IST)
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Jauljibi Mela 2022 : 14 नवंबर से काली गोरी के संगम पर दो देशों की सांस्कृतिक धाराओं का होगा मिलन
संवाद सहयोगी,पिथौरागढ़ : Jauljibi Mela 2022 : भारत और नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक जौलजीबी मेला 14 नवंबर से शुरू होगा। 10 दिन तक चलने वाला यह मेला भारत के साथ-साथ नेपाल में भी आयोजित होगा। भारत में मेले के आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।

बुधवार को जौलजीबी पहुंची जिलाधिकारी रीना जोशी ने मेले के आयोजन को लेकर की जा रही तैयारियों को परखा। अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि जौलजीबी मेला सीमांत जिले पिथौरागढ़ की विशेष पहचान रहा है। इस मेले के सफल आयोजन में कोई कसर न रहे। 10 दिवसीय मेेले में सायं चार बजे से सात बजे तक स्थानीय सांस्कृतिक दल अपनी प्रस्तुतियां देंगे। रात्रि 10 बजे से बाहर से आने वाले सांस्कृतिक दलों के कार्यक्रम होंगे।

जिलाधिकारी ने मेले के दौरान शांति और सुरक्षा व्यवस्था के लिए होमगार्ड, पीआरडी, पीएसी, पुलिस और एसडीआरएफ जवानों को तैनात करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मेले में आने वाले लोगों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए चिकित्सक और स्टाफ की तैनाती करने के निर्देश सीएमओ को दिए। उन्होंने कहा कि मेले में अवैध शराब की रोकथाम की जिम्मेदारी पुलिस और आबकारी विभाग की होगी।

उन्होंने मेले में पेयजल का इंतजाम करने के निर्देश पेयजल महकमे को दिए। सरकारी महकमों को स्टाल लगाकर योजनाओं की जानकारी आम लोगों को दिए जाने के निर्देश जिलाधिकारी ने दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि मेले में आने वाले लोगों से अधिक किराया न वसूला जाए इसके लिए सभी वाहनों में किराया सूची लगाई जाए।

बैठक में मौजूद संयुक्त मजिस्ट्रेट धारचूला दिवेश शासनी ने बताया कि मेला स्थल तैयार कर लिया गया है। स्टाल बनाए जा रहे हैं। सभी आवश्यक तैयारियां जल्द पूरी हो जायेंगी। बैठक में ब्लाक प्रमुख धारचूला धन सिंह धामी, धारचूला और जौलजीबी के उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष मौजूद रहे।

दो देशों में लगने वाला अकेला मेला

काली और गोरी नदी के संगम पर लगने वाला जौलजीबी मेला दुनिया का अकेला ऐसा मेला है जिसका आयोजन एक साथ दो देशों में होता है। भारत और नेपाल के बीच काली नदी सीमा रेखा बनाती है। भारत के साथ ही नेपाल में भी मेले का आयोजन होता है। दोनों देशों के लोग एक दूसरे देश में जाकर मेले का आंनद लेते हैं।

भारत में पाल राजवंश द्वारा शुरू किए गए इस मेले का खासा व्यापारिक महत्व था। कोलकाता, मथुरा, बरेली तक के व्यापारी यहां पहंचते थे। धारचूला जौलजीबी में बनने वाले दन, कालीन, पंखी, चुटके आदि खूब बिकते थे, लेकिन धीरे-धीरे व्यापारिक गतिविधियां सिकुड गई। इसके बावजूद मेले का स्वरूप बना हुआ है।

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