Maa Purnagiri Mela पूर्णागिरि धाम में सती की नाभि गिरी थी जिसके कारण यहां नाभि का काफी अधिक महत्व है। इस बार का मेला श्रद्धालुओं के लिए खास रहने वाला है। अन्नपूर्णा की चोटी पर स्थित मंदिर में मां पूर्णागिरि की प्रतिमा के आगे नाभि का हिस्सा श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहेगा। यह नाभि पूर्णागिरि धाम से नदी की तलहटी तक करीब 800 मीटर तक लंबी है।
संवाद सहयोगी, टनकपुर : Maa Purnagiri Mela: उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेला 26 मार्च से शुरू हो रहा है। इस बार का मेला श्रद्धालुओं के लिए खास रहने वाला है। अन्नपूर्णा की चोटी पर स्थित मंदिर में
मां पूर्णागिरि की प्रतिमा के आगे नाभि का हिस्सा श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहेगा। नाभि पर रंग बिरंगी लाइटों से रोशनी डाली जाएगी, ताकि श्रद्धालु रात के समय भी आसानी से दर्शन कर सकें।
पूर्णागिरि धाम में सती की नाभि गिरी थी, जिसके कारण यहां नाभि का काफी अधिक महत्व है।
पूर्णागिरि धाम देश के 52 शक्तिपीठों में शामिल है। जब सती ने अपनी पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर स्वयं को जला डाला था तो भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे। इस दौरान मां की नाभि अन्नपूर्णा चोटी पर गिरी। जिसके बाद से यह स्थल मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ के लाम से जाना जाता है।
कालांतर में नाभि का मुंह बंद हो गया
मां पूर्णागिरि धाम के पुजारी कैलाश पांडेय ने बताया कि यह नाभि पूर्णागिरि धाम से नदी की तलहटी तक करीब 800 मीटर तक लंबी है। काफी समय पूर्व नाभि खुले होने से श्रद्धालुओं द्वारा उसमें सोना, चांदी के सिक्के, रुपये, नारियल आदि चढ़ाए जाते थे। कालांतर में नाभि का मुंह बंद हो गया।
अब श्रद्धालु नाभि के सामने चढ़ावा चढ़ाते हैं। जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी भगवत पाटनी ने बताया कि अधिकांश श्रद्धालुओं को नाभि के बारे में पता नहीं चल पाता है। इस बार जिला पंचायत नाभि के हिस्से पर आकर्षक रोशनी करेगी ताकि श्रद्धालु उसके दर्शन करने के साथ चढ़ावा चढ़ा सकें।
इसके अलावा अन्नपूर्णा चोटी के ऊपर लाइट की पूरी व्यवस्था होगी। चोटी पर मां का चक्र होगा जो रात के समय लाल, पीली, नीली, हरी रोशनी से जगमगाता रहेगा। इससे श्रद्धालु
मां पूर्णागिरि की चोटी के दर्शन नागा क्षेत्र से ही कर सकेंगे।
पूर्णागिरि धाम में अग्निशमन के होंगे पुख्ता
इंतजाम
पूर्णागिरि मेले की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का काम अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र को आग की घटनाओं से बचाने के लिए इस बार विशेष इंतजाम किए गए हैं। गत वर्ष जंगल में लगी आग मुख्य मंदिर तक पहुंच गई थी। इस बार ऐसी कोई घटना न हो इसकी भी पूरी तैयारी की जा रही है।
पूर्णागिरि धाम जंगलों के बीच में स्थित है। गर्मी के सीजन में वनाग्नि की लपटें मंदिर तक पहुंच जाती हैं, जिससे मेले के दौरान अनहोनी की आशंका बनी रहती है। आग से बचाव के लिए मुख्य मंदिर, काली मंदिर में पर्याप्त संख्या में आग बुझाने के सिलिंडर, अग्निशमन यंत्र के साथ ही कर्मचारी तैनात रहेंगे।
चार फायर वाहन और एक पंप भी मौके पर रहेगा। अन्य जिलों से तीन यूनिट फायर कर्मियों की डिमांड की गई है। प्रत्येक पूजा सामग्री की दुकान पर एक आग बुझाने का सिलिंडर, रेत, पानी की व्यवस्था रहेगी।
मेला क्षेत्र में 10 प्याऊ और 18 टिन शेड की होगी व्यवस्था
गर्मी से राहत के लिए इस बार जिला पंचायत द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पानी के 10 प्याऊ लगाए जाएंगे। जिससे पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी। साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 18 टिन शेड भी तैयार किए जा रहे हैं।
पिछले वर्ष टिन शेड संख्या मात्र नौ थी। मेलाधिकारी भगवत पाटनी ने बताया कि टिन शेड ठुलीगाड़ व बूम क्षेत्र में लगाए जा रहे है। बताया कि दोनों स्थानों पर भंडारे के दो कैंप अतिरिक्त लगाए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके।
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