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सिलक्यारा सुरंग में फंसे बेटे की सलामती के लिए मां ने त्यागा अन्न, रो-रोकर बुरा हाल; CM से की सभी को सुरक्षित निकालने की अपील

उत्तरकाशी के सिलक्यारा चार धाम सड़क परियोजना की क्षतिग्रस्त टनल में फंसे छीनीगोठ गांव निवासी 22 वर्षीय युवक पुष्कर सिंह ऐरी के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उसकी मां गंगा देवी ने खाना पीना भी त्याग दिया है। जिसके चलते उनका स्वास्थ्य भी खराब होने लगा है। दोनों ने मुख्यमंत्री धामी से टनल में फंसे सभी लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकालने की अपील की है।

By vinay sharmaEdited By: riya.pandeyUpdated: Sun, 19 Nov 2023 05:21 PM (IST)
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सिलक्यारा सुरंग में फंसे बेटे की सलामती के लिए मां ने त्यागा अन्न

संवाद सहयोगी, चंपावत। उत्तरकाशी के सिलक्यारा चार धाम सड़क परियोजना की क्षतिग्रस्त टनल में फंसे छीनीगोठ गांव निवासी 22 वर्षीय युवक पुष्कर सिंह ऐरी के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उसकी मां गंगा देवी ने खाना पीना भी त्याग दिया है। जिसके चलते उनका स्वास्थ्य भी खराब होने लगा है।

दोनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से टनल में फंसे सभी लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकालने की अपील की है। दुर्घटना में पुष्कर समेत अन्य 41 मजदूर सुरंग में फंसे हुए हैं। बीते बुधवार को परियोजना मैनेजर द्वारा फोन से पुष्कर के परिवार को उनके बेटे के संबंध में जानकारी दी थी।

बेटे के सुरंग में फंसने की जानकारी मिलने के बाद से ही स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। उधर पुष्कर के बड़े भाई विक्रम सिंह घटना की सूचना मिलने के बाद ही उत्तरकाशी रवाना हो गए थे, जो अभी भी घटनास्थल पर ही मौजूद हैं।

दिवाली के एक दिन पहले हुई थी पुष्कर से बात

पुष्कर के मामा महेंद्र सिंह ऐरी ने बताया कि दो माह पूर्व उनका भांजा पुष्कर अपने घर छीनीगोठ आया था। तब उसने बताया था कि वह उत्तरकाशी में आलवेदर परियोजना में मजदूरी का काम करता है। युवक के स्वजन की उससे आखिरी बार बात दिवाली से एक दिन पहले हुई थी। युवक के पिता मजदूरी करते हैं जबकि माता गृहणी हैं।

समाचार पत्रों से ड्रिल मशीन खराब होने की जानकारी मिलने के बाद रविवार को युवक के माता-पिता दिनभर भगवान से सभी लोगों के सुरंग से बाहर निकलने की प्रार्थना करते रहे।

उन्होंने बताया कि उन्हें आज या कल में पुष्कर के सुंरग से बाहर निकलने की उम्मीद थी, लेकिन मशीनों में आई खराबी के कारण फिर से इस काम में देरी हो सकती है, जिससे अन्य मजदूरों के साथ उनके बेटे का जीवन भी संकट में पड़ सकता है।

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