पुलों के बंद होने से, तीन दिन की चहल-पहल के बाद फिर नेपाल सीमा पर पसरा सन्नाटा
पुलों के बंद होने से एक बार फिर नेपाल-भारत सीमा से सटे गांवों में सन्नाटा पसर गया है।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:48 AM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : नेपाली पेंशनर्स के लिए भारत और नेपाल सरकार की पहल पर तीन दिन दो पुल खुलने के बाद धारचूला और जौलजीबी में बनी चहल-पहल फिर सन्नाटे में बदल चुकी है।
सीमांत जिले में नेपाल से लगी 185 किमी लंबी सीमा में कालापानी से लेकर पंचेश्वर तक छह झूलापुल हैं। जिसमें झूलाघाट, लाली, जौलजीबी, बलुवाकोट, धारचूला, एलागाड़ और उच्च हिमालयी गब्र्यांग के पास का सीता पुल है। इन छह पुलों में चार पुल धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीबी और झूलाघाट व्यस्ततम पुल माने जाते हैं। इन पुलों पर से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग आवाजाही करते रहते हैं। मित्र राष्ट्र के सुर नहीं बदलने तक यह भी आभास नहीं हो पाता था कि पुल दो देशों के बीच के हैं। सुबह से नेपाल से आने वालों का रेला लग जाता था। स्थानीय उत्पाद बेचने के लिए सामान लेकर नेपाल के लोग पहुंच जाते थे। इसके अलावा नाते, रिश्तेदारी में जाने वाले तथा भारत के अन्य स्थानों पर जाने वालों की संख्या काफी अधिक रहती थी। पुल बंद हुए सात माह बीत चुके हैं। सीमा पर रहने वाले दोनों देशों के लोग जल्द सीमा खुलने का इंतजार कर रहे हैं। जिसके लिए भारतीय व्यापारी आंदोलन तक कर चुके हैं। व्यापारियों सहित जनता की मांग हमेशा के लिए पुल खुलने की है। बीते तीन दिनों तक केवल पांच घंटों के लिए दो पुल पेंशनर्स के लिए खोले गए थे। 140 पेंशनर्स के लिए खोले गए पुलों से तीन दिन के भीतर 1250 से अधिक लोगों ने आवाजाही की। जिसमें सत्त्तर प्रतिशत से अधिक नेपाली नागरिक थे। जो भारतीय बाजारों से सामान खरीद कर ले गए। इससे आभास होता है कि पुलों को लेकर नेपाल की जनता में अधिक छटपटाहट है अलबत्त्ता उनकी आवाज बाहर नहीं निकल पा रही है। ======== भारत नेपाल की जनता के बीच गहरे संबंध हैं। दोनों देशों के सीमा से लगे बाजार एक दूसरे देश के ग्राहकों पर निर्भर हैं। धारचूला और झूलाघाट बाजार तो अस्सी से नब्बे प्रतिशत नेपाली ग्राहकों पर निर्भर हैं। भारत के बाजार प्रभावित हैं। सीमा की इस स्थिति को देखते हुए भारत और नेपाल सरकार को जनभावनाओं को समझते हुए पुल खोलने का निर्णय लेना चाहिए। - बीएस थापा, अध्यक्ष व्यापार मंडल, धारचूला ========= भारत नेपाल सीमा खोलने का निर्णय दोनों देशों की सरकार ले सकती हैं। प्रशासन को केवल आपात स्थिति में शासन के निर्देश के बाद पुल खोलने के निर्देश हैं। तीन दिन सरकार के निर्देश पर पुल खुले थे। आपात काल में ही प्रशासन पुल खोलता है।
- एके शुक्ला, एसडीएम, धारचूला
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