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Snowfall in Uttarakhand: मुनस्यारी में हुआ ताजा हिमपात, सितंबर में ही बर्फ से ढका पंचाचूली पर्वत का तल

Snowfall in Uttarakhand उत्तराखंड के मुनस्यारी में ताजा हिमपात हुआ है। पिछले एक सप्ताह से मुनस्यारी की ऊंची चोटियों में हिमपात हो रहा है। सितंबर महीने में ही चार हजार फिट की ऊंचाई तक बर्फ आ गई है। बुधवार को पंचाचूली पर्वत का तल भी बर्फ से ढक गया। आमतौर पर इस क्षेत्र में नवंबर के पहले सप्ताह में बर्फबारी होती है। बर्फबारी से मुख्यालय में ठंड बढ़ गई है।

By ramesh garkoti Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 18 Sep 2024 02:14 PM (IST)
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Snowfall in Uttarakhand: सीमांत में लगातार हो रही बारिश से हिमपात में भी तेजी. File Photo
संवाद सूत्र, जागरण, मुनस्यारी। Snowfall in Uttarakhand: सीमांत में लगातार हो रही बारिश से हिमपात में भी तेजी आ गई है। सितंबर माह में ही चार हजार फिट तक की ऊंचाई तक बर्फ आ गई है।

बुधवार को पंचाचूली पर्वत का तल भी बर्फ से ढक गया। अमूमन इस हिस्से में बर्फवारी नवंबर प्रथम सप्ताह में ही होती है। बर्फवारी से तहसील मुख्यालय में ठंड बढ़ गई है। पिछले एक सप्ताह से मुनस्यारी की ऊंची चोटियों में हिमपात हो रहा है। लगभग साढ़े छह हजार फिट ऊंची पंचाचूली, हंसालिंग, राजरंभा की शीर्ष चोटियां बर्फ से लकदक हो गई हैं।

पंचाचूली का आधार स्थल भी बर्फ से ढका

मंगलवार की रात से चार हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित पंचाचूली का आधार स्थल भी बर्फ से ढक गया। नवंबर माह में आधार स्थल तक बर्फ पहुंचती थी, लेकिन इस वर्ष सितंबर में ही इस स्थान पर बर्फवारी हो गई है। स्थानीय निवासी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि सितंबर माह में ही आधार शिविर तक बर्फ पहुंचने से उम्मीद है कि इस वर्ष हिमपात अच्छा होगा।

पिछले वर्ष मुनस्यारी के बेटुलीधार, खलियाटाप आदि क्षेत्रों में जनवरी मध्य के बाद ही हिमपात शुरू हुआ था। बुधवार को ऊंची चोटियों में फिर बर्फवारी हुई। वहीं तहसील मुख्यालय में बीती रात्रि जमकर बारिश हुई। बारिश के बाद मुनस्यारी में ठंड बढ़ने लगी है। सुबह और शाम लोगों को गर्म कपड़े पहनने पड़ रहे हैं। मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव से लोग सर्दी, जुकाम, बुखार से पीडि़त हो रहे हैं।

14वें दिन खुला थल-सातशिलिंग मोटर मार्ग

जनपद मुख्यालय पिथौरागढ़ को जाेड़ने वाली थल-सातशिलिंग सड़क आखिरकार 14वें दिन खुल गई है। सड़क खुलने से मार्ग में यातायात व्यवस्था सुचारू हो गई है। दो सप्ताह बाद मार्ग खुलने से लोगों ने राहत की सांस ली। थल-सातशिलिंग सड़क में चार सितंबर को प्रात: साढ़े दस बजे थल धारे से 500 मीटर दूरी पर ऊपर नागीमल मंदिर की पहाड़ी के दरकने और भूस्खलन से सड़क का 100 मीटर हिस्सा धंस कर रामगंगा नदी में समा गया था।

इससे सड़क में आवागमन पूर्ण रूप से ठप हो गया। इस सड़क के बंद होने जाने से थल, मुवानी, मुनस्यारी, तेजम, बेरीनाग, पांखू, बांसबगड़, धरमघर, क्वीटी, बिर्थी, गिनी बैंड सहित कई दर्जनों कस्बों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया था। वही वाहनों को 20 किमी अतिरिक्त वाया डीडीहाट से आवागमन करना पड़ रहा था। खतरनाक स्थिति में पहुंची इस सड़क को खोलना लोनिवि पिथौरागढ़ के लिए बड़ी चुनौती बन गया था।

विभाग के जेई मुकेश जुकरिया और ठेकेदार द्वारा हर रोज सुबह सात बजे से देर शाम सात बजे तक सड़क की स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। परिणाम स्वरूप दो सप्ताह बाद मंगलवार को दोपहर 2 बजे सड़क खुल सकी। सड़क दोपहिया, जीप, पिकअप, टिप्पर वाहनों के लिए खोल दी गई है। अभी बाएं छोर पर थोड़ी चढ़ाई होने के कारण वाहनों को निकलने में दिक्कत पैदा हो रही है। जबकि दाएं छोर पर ढलान होने से वाहन सरपट निकल रहे हैं, लेकिन मार्ग में अभी भी खतरा बना हुआ है।

सड़क के दाएं छोर पर ऊपर नागीमल मंदिर की पहाड़ी से भूस्खलन होने से पहाड़ी में स्थित बड़े-बड़े बोल्डर दिखाए दे रहे हैं। जिनके गिरने की संभावना बनी हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद उपाध्याय ने सड़क के ऊपर भूस्खलन स्थान में आधे झुके पेड़ो को हटाने और सड़क के दोनों छोर पर सावधानी वाला बोर्ड लगाए जाने की मांग की है।

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