कुमाऊं के सबसे खूबसूरत ट्रैक बन सकते हैं यह दो स्थान, यहां से दिखते हैं रामगंगा नदी व गोरी गंगा घाटी के नजारे
हिमालयी ट्रैक की खोज में अग्रणी संस्था मौनाल के चार सदस्यों ने नामिक ग्लेशियर और नंदा कुंड ट्रैक का भ्रमण करते हुए अध्ययन किया। मुनस्यारी से 60 किमी लंबे इस ट्रैक को सबसे खूबसूरत ट्रैक बताते हुए कहा कि सरकार इस ट्रैक को विकरित करें तो यह कुमाऊं के सबसे खूबसूरत ट्रैक साबित हो सकता है। जहां सामान्य ट्रेकर्स भी पहुंच सकते हैं।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: हिमालयी ट्रैक की खोज में अग्रणी संस्था मौनाल के चार सदस्यों ने नामिक ग्लेशियर और नंदा कुंड ट्रैक का भ्रमण करते हुए अध्ययन किया। मुनस्यारी से 60 किमी लंबे इस ट्रैक को सबसे खूबसूरत ट्रैक बताते हुए कहा कि सरकार इस ट्रैक को विकरित करें तो यह कुमाऊं के सबसे खूबसूरत ट्रैक साबित हो सकता है। जहां सामान्य ट्रेकर्स भी पहुंच सकते हैं।
यहां से दिखते हैं रामगंगा नदी व गोरी गंगा घाटी के नजारे
इस ट्रैक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक तरफ रामगंगा नदी घाटी तो, दूसरी तरफ गोरी गंगा घाटी के दर्शन होते हैं। इसके अलावा पंचाचूली, नंदा घंटी, नंदा देवी के अलावा गढ़वाल हिमालय और नेपाल के हिमालय के दर्शन होते हैं। मुनस्यारी से इस ट्रैक की दूर्री 60 किमी है।
पूरे ट्रैक में मिलते हैं दो बुग्याल, दो उच्च हिमालयी कुंड व दो ग्लेशियर
पूरे ट्रैक में दो बुग्याल, दो उच्च हिमालयी कुंड, दो ग्लेशियर मिलते हैं। इस मार्ग पर उच्च हिमालयी राजकीय पुष्प ब्रहम्मकमल भी मिलते हैं। इस तरह है ट्रैक यह ट्रैक मुनस्यारी से खलिया टॉप होते हुए पुनिया बुग्याल, सुदमखान होते हुए नंदा कुंड पहुंचता है। जहां से ट्रैक नामिक ग्लेशियर और हीरामणि ग्लेश्यिर पहुंचता है।
लद्दाख के ट्रैक से की तुलना
मोनाल संस्था के सदस्यों ने 4350 मीटर की ऊंचाई तक ट्रैक का भ्रमण कर वनस्पतियों का भी अध्ययन किया। इससे पूर्व आदि कैलास से सिनला पास होते हुए विदांग तक के सबसे ऊंचाई वाले ट्रैक का अध्ययन कर चुके मोनाल संस्था ने इसकी तुलना लद्दाख के ट्रैक से की थी।
यह ट्रैक पूरी तरह लद्दाख की तर्ज पर साढ़े चार हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाला सबसे रोमांचक और आकर्षक बताया। इधर अब नए ट्रैक को बेहद खूबसूरत बताते हुए कुमाऊं के पर्यटन विकास में एक नया मुकाम बनाने वाला बताया है।
अपने स्थान से दूर खिलता है ब्रह्मकमल
ब्रह्मकमल को लेकर जताई चिंता मोनाल संस्था के अध्यक्ष सुरेंद्र पवार ने राज्य पुष्प ब्रह्मकमल को लेकर गहरी चिंता जताई । उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों की तुलना में अब ब्रह्मकमल अपने यथास्थान से काफी दूर खिले हैं। बीते पांच, सात साल पूर्व जहां पर ब्रह्मकमल खिलते थे अब वहां से पांच से सात किमी ऊपर खिलते मिले हैं।
उन्होंने कहा कि नंदाष्टमी पूजा सहित अन्य पूजा के लिए कुछ लोग भारी मात्रा में ब्रह्मकमल लाते हैं। अधिक मात्रा में ब्रह्मकमल लाए जाने से उनके बीज समाप्त हो रहे हैं । जिससे यह संकट पैदा हो रहा है। उनका कहना है कि उच्च हिमालय में ब्रह्मकमल कम होना बेहद चिंताजनक है।
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ट्रैक का भ्रमण करने वाले दल में सुरेंद्र पवार, आशीष उप्रेती, सुंदर लालऔर राजेंद्र शामिल रहे। नंदाष्टमी पर तल्ला जोहार के लोग ब्रह्मकमल के लिए यहां जाते हैं परंतु उनका मार्ग बला से होकर जाता है।
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