शहरी विकास योजना से होगा आंवलाघाट पेयजल योजना का विस्तार
आंवलाघाट पेयजल योजना के विस्तार के लिए अब उत्तराखंड सरकार से धनराशि का इंतजार नहीं करना होगा।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 22 Feb 2022 10:06 PM (IST)
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : आंवलाघाट पेयजल योजना के विस्तार के लिए अब उत्तराखंड सरकार से धनराशि का इंतजार नहीं करना होगा। इसके लिए शहरी विकास योजना से पैसा मिलेगा। योजना का विस्तार हो जाने के बाद नगर और आसपास के गांवों को 12 एमएलडी पानी मिलने लगेगा।
पिथौरागढ़ नगर में पेयजल की दिक्कत को देखते हुए जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर आंवलाघाट में बहने वाली रामगंगा नदी से करीब 80 करोड़ की लागत से लिफ्ट पेयजल योजना बनाई गई है। योजना कुल 12 एमएलडी क्षमता की है। योजना के शुरूआत में इससे छह एमएलडी पानी लिफ्ट किया जा रहा था। जरूरत को देखते हुए पेयजल निगम ने इसका विस्तार कर एक और वेल के जरिए क्षमता नौ एमएलडी तक कर दी है। वर्तमान में योजना में तीन वेल बनाए गए हैं। अब शहरी विकास योजना के तहत जिले को मिलने वाली 400 करोड़ की धनराशि में कुछ पैसा इस योजना में लगाकर एक और वेल बनाया जाएगा। इस वेल के तैयार हो जाने के बाद योजना प्रतिदिन 12 एमएलडी पानी देने लगेगी। इस योजना से वर्तमान में पिथौरागढ़ नगर और आसपास के गांवों को पानी दिया जा रहा है। योजना का विस्तार हो जाने के बाद नगर में पानी की कोई किल्लत नहीं रहेगी। ========= शहरी विकास योजना से आंवलाघाट पेयजल योजना के विस्तारीकरण का प्रस्ताव बनाया गया है। वर्तमान में योजना से नौ एमएलडी पानी मिल रहा है। विस्तारीकरण के बाद 12 एमएलडी पानी मिलने लगेगा। - आरएस धर्मशक्तू, ईई, पेयजल निगम, पिथौरागढ़ ===== अब शहरी क्षेत्रों में भी जियो टैगिग से परखी जाएगी स्वच्छता अभियान की सच्चाई संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण निकायों से धनराशि लेने वाले परिवारों की अब जियो टैगिग होगी। इसके लिए सभी वार्ड में टीमें भेजी जा रही हैं। ये टीमें बनाए गए शौचालयों की फोटो शहरी विकास विभाग की साइट पर अपलोड करेंगे। देहरादून में बैठे उच्चाधिकारी भी धरातल पर हुए काम को देख सकेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में भी शौचालय निर्माण के लिए लोगों को नगर पालिका की ओर से धनराशि उपलब्ध कराई गई है। एक शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार की धनराशि दिए जाने का प्राविधान है। पिथौरागढ़ नगर के 20 वार्ड में करीब दो हजार शौचालय इस योजना के तहत बनाए गए हैं। इन शौचालयों का रिकार्ड अब तक केवल नगर पालिका के रिकार्ड में ही रखा गया है। शासन ने अब शहरी क्षेत्र में बनाए गए शौचालयों की भी जियो टैगिग कराने का निर्णय लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले ही स्वच्छता अभियान के तहत बनाए गए शौचालयों की जियो टैगिग की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में इस पहल के बाद शौचालय निर्माण की हकीकत सामने आएगी। शौचालय वास्तव में बने हैं या नहीं इसका पता लग सकेगा। एक ही परिवार को दो बार लाभ दिए जाने की आशंकाओं का भी निराकरण होगा। अधिशासी अधिकारी दीपक गोस्वामी ने बताया कि अवर अभियंताओं की अगुवाई में प्रत्येक वार्ड में टीम भेजी जा रही है।
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