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Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में अभी तक क्‍यों नहीं आयी ठंड? जानें क‍िन ज‍िलों में बार‍िश की बन रही संभावना

मौसम विभाग के अनुसार पिछले 13 वर्षों में नवंबर का सबसे कम तापमान 2012 में गया है। तब 30 नवंबर का तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था। दूसरी ओर सबसे कम सर्द 2023 का नवंबर रहा। पिछले वर्ष 30 नवंबर को माह का सबसे कम 5.2 डिग्री तापमान पहुंचा था। पिछले 13 वर्षों में तीन अवसर ऐसे रहे जब माह का न्यूनतम तापमान नवंबर पहले पखवाड़े में रिकॉर्ड किया गया।

By ganesh pandey Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 07 Nov 2024 08:32 AM (IST)
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उत्तराखंड में अभी तक तापमान सामान्य तक नहीं आ पाया।- सांकेत‍िक तस्‍वीर
गणेश पांडे,  चंपावत। नवंबर पहला सप्ताह बीतने को है। उत्तराखंड में अभी तक तापमान सामान्य तक नहीं आ पाया है। विशेष रूप से न्यूनतम तापमान बढ़ा हुआ है। पोस्ट मानसून वर्षा ने भी निराश किया है। इस कारण पर्वतीय क्षेत्र में गेहूं की बोवाई जोर नहीं पकड़ पाई है। मौसम का पिछला ट्रेंड बताता है कि 2011 के बाद दो अवसर ऐसे रहे जब नवंबर पहले सप्ताह से ठंड की शुरुआत हो गई थी। कमजोर पश्चिमी विक्षोभ की वजह से इस बाद ठंड देरी से शुरू हो सकती है।

मौसम विभाग के मुक्तेश्वर केंद्र के अनुसार पिछले 13 वर्षों में नवंबर का सबसे कम तापमान 2012 में गया है। तब 30 नवंबर का तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था। दूसरी ओर सबसे कम सर्द 2023 का नवंबर रहा। पिछले वर्ष 30 नवंबर को माह का सबसे कम 5.2 डिग्री तापमान पहुंचा था।

पिछले 13 वर्षों में तीन अवसर ऐसे रहे जब माह का न्यूनतम तापमान नवंबर पहले पखवाड़े में रिकॉर्ड किया गया। इसमें 2018 में चार नवंबर को 2.8 डिग्री, 2013 में नौ नवंबर को 2.2 डिग्री व 2015 में सात नवंबर को 4.7 डिग्री पारा पहुंचा था।

मुक्तेश्वर का न्यूनतम तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस रहा

बुधवार को मुक्तेश्वर का न्यूनतम तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस रहा। सामान्य की अपेक्षा यह 2.4 डिग्री अधिक रहा। चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर आदि जिलों में भी तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है।

सितंबर बाद प्रदेश में सामान्य से 90 प्रतिशत कम वर्षा हुई

विशेषज्ञों के अनुसार पोस्ट मानसून अवधि में वर्षा न होने से तापमान अनेक्षानुरूप कम नहीं हुआ है। सितंबर बाद प्रदेश में सामान्य से 90 प्रतिशत कम वर्षा हुई है।

मुख्य कृषि अधिकारी, चंपावत धनपत कुमार ने कहा क‍ि गेहूं, सरसों आदि की बुआई शुरू हो गई है। बीज के जमाव के लिए नमी की जरूरत होती है। इस समय थोड़ी बहुत वर्षा होने से किसानों को मदद मिलती। सिंचाई वाले क्षेत्रों व नमी वाली जगहों पर किसान रबी की बुआई शुरू कर सकते हैं। 

पिछले दो दिनों में बागेश्वर व पिथौरागढ़ में थोड़ी वर्षा हुई है। दोनों जिलों में आठ नवंबर को भी हल्की एक्टिविटी दिखेगी। फिलहाल 12 नवंबर तक वर्षा व हिमपात के लिए अनुकूल परिस्थिति नहीं है। अच्छी वर्षा हिमपात के लिए मजबूत पश्चिमी विक्षोभ का इंतजार करना होगा। -बिक्रम सिंह, निदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून

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