Move to Jagran APP

76 साल की प्रभा सेमवाल की सोच और प्रयास से बदल गई बंजर भूमि की तकदीर

लगभग 30 साल पहले अवैध कटान और भूस्खलन से रुद्रप्रयाग उत्तराखंड के ऊखीमठ ब्लॉक स्थित फली फसालत गांव से लगे जंगल का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 14 Mar 2020 11:45 AM (IST)
Hero Image
76 साल की प्रभा सेमवाल की सोच और प्रयास से बदल गई बंजर भूमि की तकदीर
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग। प्रभा सेमवाल ने भले ही उम्र के 76 वसंत पूरे कर लिए हों, लेकिन कठिन परिश्रम से मुंह मोड़ना उन्हें आज भी गवारा नहीं। प्रभा के इसी परिश्रम का नतीजा है बंजर भूमि पर लहलहाता जंगल। इस जंगल में विभिन्न प्रजाति के 500 से अधिक पेड़ न केवल प्रकृति और समाज के प्रति उनके संघर्ष की गवाही दे रहे हैं, नई पीढ़ी को भी पर्यावरण रक्षा के लिए आगे आने को प्रेरित कर रहे हैं। लगभग 30 साल पहले अवैध कटान और भूस्खलन से रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के ऊखीमठ ब्लॉक स्थित फली फसालत गांव से लगे जंगल का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था।

लोगों की जंगल से जुड़ी जरूरतें पूरी हो रही : इससे फली फसालत समेत आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों में जलावन लकड़ी और मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में प्रभा ने गांव के नीचे दरमई में अपने बंजर खेतों के किनारे विभिन्न प्रजाति के चारा-पत्ती वाले पौधों का रोपण किया। घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ करीब 30 वर्ष तक वह यहां तुन, बांज, बुरांश, काफल, रीठा, दाली चीनी, हैड़ा, भीमल, गुरियाल आदि प्रजातियों के पौधों को रोपण करती रहीं। नतीजा, गांव का भूस्खलन तो रुका ही, लोगों की जंगल से जुड़ी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं।

प्रभा बताती हैं कि पर्यावरण संरक्षण के इस कार्य में उनके पति शिव प्रसाद सेमवाल भी पूरा सहयोग करते हैं। शिव प्रसाद कहते हैं घर-परिवार और सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति पत्नी के समर्पण से उन्हें गर्व की अनुभूति होती है। वर्ष 2019 तक रुद्रप्रयाग वन प्रभाग में प्रभागीय वनाधिकारी रहे राजीव धीमान भी प्रभा के पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए गए कार्यों को समाज के लिए नजीर मानते हैं।

वहीं, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य विष्णुकांत शुक्ला कहते हैं कि प्रभा ने गांव ही नहीं, क्षेत्र को भी नई पहचान दी है। उनसे प्रेरित हो आसपास के गांवों की महिलाएं भी अपने घरों के पास पौधारोपण कर रही हैं। प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली कहते हैं, पर्यावरण संरक्षण के लिए महिलाओं का आगे आने से पता चलता है कि वह पर्यावरण को लेकर कितनी गंभीर हैं। अच्छी बात यह है कि नई पीढ़ी भी इसमें सहयोग कर रही है।

हरितमा का उपहार...: प्रभा के अपने घर के आसपास खूबसूरत बागीचा खड़ा किया है, जहां माल्टा, संतरा, अनार अमरूद, आंवला आदि के 40 से अधिक पेड़ सालभर फल दे रहे हैं। आज फली फसालत ही नहीं, अन्य गांवों की महिलाएं भी उनसे प्रेरित होकर पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आ रही हैं। इस जंगल के कारण गांव में प्राकृतिक स्नोत भी पानी से लबालब हो गए हैं। जिससे ग्रामीणों की दिनचर्या काफी आसान हुई है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।