अपने ही घर में 'बेघर' है बदरी-केदार मंदिर समिति, पढ़िए पूरी खबर
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पास केदारनाथ मंदिर की पूजा और संचालन समेत अन्य सभी व्यवस्थाओं का जिम्मा है फिर भी समिति धाम में ठौर के लिए भटक रही है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 03 Aug 2019 08:47 PM (IST)
रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। जिस श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पास केदारनाथ मंदिर की पूजा और संचालन समेत अन्य सभी व्यवस्थाओं का जिम्मा है, वही समिति वर्ष 2013 की आपदा के बाद से धाम में ठौर के लिए भटक रही है। अब तक जिस अस्थायी व्यवस्था में केदारनाथ मंदिर के पास समिति का कार्यालय, मुख्य पुजारी और रावल का आवास बना था, उसे भी केदारनाथ मास्टर प्लान के तहत इसी यात्रा सीजन में हटा दिया जाएगा। दूसरी ओर, मंदिर समिति के लिए प्रशासन ने जो भूमि सरस्वती नदी के पास सुझाई है, उसकी भी अभी एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) से अनुमति नहीं मिल पाई है। ऐसे में मंदिर समिति अपने घर में ही बेघर होकर रह गई है।
केदारनाथ मंदिर की देख-रेख व पूजाएं संपन्न कराने के साथ ही धाम की समस्त व्यवस्थाओं का संचालन श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ही ही करती है। धाम में मंदिर समिति की अपनी पेयजल लाइन व पावर हाउस भी है। यात्राकाल के दौरान मंदिर के रावल, मुख्य पुजारी, समिति के कार्याधिकारी व कर्मचारी धाम में ही निवास करते हैं। समिति के स्टाफ की कुल संख्या 80 है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में मंदिर समिति की सभी आवासीय कॉलोनी, रावल व मुख्य पुजारी आवास, भोग मंडी और अतिथि गृह सैलाब की भेंट चढ़ गए थे। इसके बाद मंदिर समिति के लिए बिड़ला ग्रुप ने मंदिर के पास ही कॉटेज का निर्माण किया।
इनमें मंदिर समिति के अस्थायी कार्यालय समेत मुख्य पुजारी व रावल आवास और मंदिर समिति अधिकारियों के कार्यालय संचालित होते हैं। लेकिन, अन्य स्टाफ अपनी व्यवस्थाओं पर निजी भवनों में रह रहा है। मंदिर समिति के कार्याधिकारी एमपी जमलोकी ने बताया कि अब केदारनाथ मास्टर प्लान के तहत अक्टूबर तक मंदिर के चारों ओर से सभी निर्माण हटाए जाने हैं। इनमें मंदिर समिति के अस्थायी भवन भी शामिल हैं। लेकिन, मुश्किल यह है कि मंदिर समिति के पास धाम में फिलहाल अपना कोई ठौर नहीं है। इस स्थिति अब समिति प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हुए है।
प्रशासन को भेजा भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव
मंदिर समिति के अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी ने बताया कि समिति ने 8.60 करोड़ का आगणन तैयार कर धाम में आवासीय भवन, रावल व मुख्य पुजारी निवास, भोग मंडी और 80 कर्मचारियों की आवासीय कॉलोनी तैयार करने के लिए 14 हजार वर्ग फीट भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव प्रशासन को भेजा है। जबकि, प्रशासन की ओर मंदिर समिति को सरस्वती नदी के पास भूमि उपलब्ध कराए जाने की बात कही जा रही है। लेकिन, इसके लिए पहले एनजीटी की अनुमति ली जानी जरूरी है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई संभव हो पाएगी।
पौराणिक परंपरा निभाना हो जाएगा मुश्किल
पंचकेदार गद्दीस्थल ऊखीमठ के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग बताते हैं कि पौराणिक पंरपरा के अनुसार मंदिर परिसर के भीतर ही मुख्य पुजारी आवास और भोग मंडी होनी चाहिए। ताकि मंदिर से जुड़ी परंपराओं का बेहतर ढंग से निर्वहन हो सके। फिर केदारनाथ के पुजारी के लिए यात्रा अवधि में छह महीने तक मंदिर परिसर से बाहर जाना प्रतिबंधित है। ऐसे में यदि सरस्वती नदी के किनारे मंदिर समिति की आवासीय कॉलोनी व मुख्य पुजारी आवास बनता है तो यह परंपरा के विपरीत होगा। कारण, प्र्रस्तावित भूमि मंदिर से एक किमी की फासले पर है और यहां से मंदिर पहुंचने के लिए मुख्य पुजारी को यात्रियों की भीड़ के बीच बाजार से आवागमन करना होगा। जबकि, पुजारी के मंदिर आने और लौटने के दौरान कोई भी मनुष्य अथवा जीव उनके रास्ते में नहीं आना चाहिए। ऐसे में धाम की परंपराओं का निर्वाह कैसे हो पाएगा, यही सबसे बड़ा सवाल है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि मंदिर समिति को नए निर्माणों के लिए सरस्वती नदी के पास भूमि दिया जाना प्रस्तावित है। लेकिन, इसके लिए समिति को एनजीटी की अनुमति लेनी होगी। पूर्व में भी जो पुनर्निर्माण कार्य हुए हैं, उनकी भी एनजीटी से अनुमति ली गई थी। उम्मीद है कि सभी औपचारिकताएं तय समय पर पूरी कर ली जाएंगी।
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